देश /विदेश

भारत में बन रही एक और कोरोना वैक्सीन, 100 डिग्री तापमान पर रखना होगा संभव

नई दिल्ली। विभिन्न देशों में कोरोना वैक्सीन बनाने के चल रहे प्रयासों के बीच भारत में एक ऐसा टीका बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह देसी परिस्थितियों के अनुकूल होगा। बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और कुछ अन्य संस्थानों से जुड़े विज्ञानी ऐसी वैक्सीन बनाने में लगे हैं, जिसे 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी रखा जाना संभव हो सकेगा। इससे वैक्सीन के परिवहन और वितरण के लिए कोल्ड चेन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ज्यादातर वैक्सीन को दो डिग्री से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना पड़ता है। लेकिन, कोरोना की विकसित की जा रही वैक्सीन को शून्य से भी काफी कम तापमान पर रखने की जरूरत पड़ेगी। इनमें फाइजर के टीके का -70 डिग्री तो मॉडर्ना की वैक्सीन का -20 डिग्री सेल्सियस पर भंडारण करना पड़ेगा।

पशुओं पर नतीजे बहुत अच्छे रहे

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के जैव भौतिकी विज्ञानी राघवन वरदराजन ने बताया कि उनकी टीम ने पशुओं पर टीके का परीक्षण किया है। इसके नतीजे बहुत अच्छे रहे हैं। मनुष्य पर सुरक्षा संबंधी परीक्षण के लिए टीम को फंड का इंतजार है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा कि हमें उम्मीद है कि ऐसा टीका बनाना संभव होगा, जिसके लिए कोल्ड चेन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

जनवरी तक देश को मिल सकती है एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन

एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन भारत में अगले साल जनवरी तक स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्ग लोगों को दी जा सकती है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) ने कहा है कि वह पहले ही लाखों खुराक वैक्सीन का उत्पादन कर चुकी है। इस वैक्सीन का विकास ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किया जा रहा है। वैक्सीन के अंतिम चरण के परीक्षण के नतीजों का इंतजार किया जा रहा है। ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के उत्पादन और वितरण के लिए दुनियाभर में कई कंपनियों के साथ करार किया है।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!