छत्तीसगढ़

पर्यावरण प्रदूषण का असर, 8 घंटे ही राइस मिल चलाने के आदेश, कम रेट में फसल बेचने को मजबूर किसान

पर्यावरण प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर प्रशासन ने राइस मिलों को 8 घंटे ही चलाने के आदेश दिए हैं, इसका सीधा असर गोहाना की अनाज मंडी में फसल की खरीद और भाव पर पड़ा है, व्यापारी अनाज मंडी में फसल की खरीद कम कर रहे हैं। फसल का भाव भी पहले की अपेक्षा कम हो गया है, भाव नहीं बढ़ने से किसान कम रेट में अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं।
बीते दिनों स्मॉग के चलते पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर अधिक बढ़ा हुआ था, पर्यावरण प्रदूषण के चलते प्रशासन ने प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, इसमें राइस मिल भी शामिल है, प्रशासन ने राइस मिलों को केवल 8 घंटे तक ही चलाने के आदेश दिए हुए हैं, जबकि सीजन के दौरान राइस मिल 24 घंटे तक चलाए जा रहे थे, राइस मिल चलाने की अवधि कम होने पर व्यापारियों ने अनाज मंडी में फसल की खरीद भी कम कर दी है, व्यापारी राइस मिल की जरूरत के अनुसार ही धान की खरीद कर रहे हैं, इसका असर अनाज मंडी में फसल के भाव पर भी पड़ा है।
अनाज मंडी में धान 3500 सो से 3600 सो रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है, जबकि बीते सप्ताह तक भाव धान की किस्म के अनुसार 4000 रुपए तक था। फसल का काम भाव मिलने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है, किसानों ने प्रशासन से राइस मिलो पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने की मांग की, ताकि उन्हें फसलों का उचित भाव मिल सके।
मंडी में काम करने वाले आढ़तियों व खरीदारों ने बताया की पिछले एक सप्ता से गोहाना की अनाज मंडी में धान की फसल के भाव कम होते जा रहे है इसका मुख्य कारन राईस मिलो का नहीं चलाना है इस समय राईस मीलो को कम चलाया जा रहा है, जिस के चलते मिलर मंडी में धान की फसल की कम खरीद कर है और खरीदार नहीं होने से मंडी में लगातार धान के भाव में कमी आ रही है कई कई दिन तक किसानो की फसल नहीं बिक रही कुछ किसानो ने अपनी फसल को अपने घरो पर ही रोकना सुरु कर दिया जो किसान मंडी में अपनी फसल लेकर आ रहे है उनकी फसलों के कम भाव मिलने से किसान को घाटा हो रहा है, जिस के चलते कम भाव में किसान भी अपनी फसलों को नहीं बेचना चाहते जिस से मंडी में खुले में हजारो किवंटल धान पड़ा हुआ है फसल नहीं बिकने से किसानो के साथ साथ आढ़तियों व् मंडी में काम करने वाले मजदूरों पर इस का असर पड़ रहा है।

अब देखना ये है की सरकार कब मिलो पर लगाया गए प्रतिबंद को वापस लेती है और काम किसानो को उनकी फसलों के उचित भाव मिलते है।

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