पूर्व गृहसचिव अनिल गोस्वामी के इस्तीफे से जुड़े विचार-विमर्श को सार्वजनिक नहीं करेगी सरकार
केंद्रीय सूचना आयोग ने कैबिनेट सचिवालय को पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी के इस्तीफे से संबंधित विचार-विमर्श और फाइल नोट सार्वजनिक न करने की इजाजत दे दी है। एक पूर्व मंत्री की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के मामले में बाधा डालने के आरोपों के बाद गोस्वामी से इस्तीफा देने को कहा गया था।
सीआईसी ने यह निर्णय एक अन्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले के आधार पर लिया है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि अधिकारियों के एक समूह या अनुशासनात्मक प्राधिकार की चर्चा या फाइल नोटिंग को उजागर नहीं किया जा सकता। अदालत ने हालांकि किसी अधिकारी के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में मांगी गई जानकारी आवेदक को उपलब्ध कराने की इजाजत दी थी।
मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने मांगी गई जानकारी को रोकने के अपने फैसले के पीछे सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया, इसमें कहा गया था कि पेशेवर रिकॉर्ड्स जैसे योग्यता, प्रदर्शन, आकलन रिपोर्ट, एसीआर, अनुशासनिक कार्यवाही आदि, व्यक्तिगत जानकारी हैं। ऐसी निजी जानकारी निजता में अनावश्यक दखल से संरक्षण की हकदार हैं और जब व्यापक जनहित संतुष्ट होता हो तब इन तक सशर्त पहुंच उपलब्ध है।
सीबीआई द्वारा एक पूर्व केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार किए जाने में कथित तौर पर बाधा डालने पर गोस्वामी से फरवरी 2015 में जबरन इस्तीफा लिया गया था।
आरटीआई आवेदक और आईपीएस अधिकारी अनुराग ठाकुर ने गोस्वामी के खिलाफ शिकायत पर की गई कार्रवाई का विवरण कैबिनेट सचिवालय से मांगा था, जिनमें विभिन्न प्राधिकारियों के बीच हुए संवाद और फाइल की नोटिंग शामिल थी। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर ठाकुर ने सीआईसी के समक्ष अपील की थी।
सुनवाई के दौरान उन्होंने दलील दी कि वह जनहित में फाइल नोटिंग समेत अन्य जानकारियां चाहते हैं ताकि पता चले कि किन घटनाक्रम की वजह से अनिल गोस्वामी को जबरन इस्तीफा देना पड़ा।’ सिन्हा ने कहा, ठाकुर की मंशा व्यापक जनहित को व्यक्त नहीं करती, जो नोटिंग शीट या फाइल में उपलब्ध जानकारी के खुलासे से पूरी होती हो।
उन्होंने कहा, इन परिस्थिति में प्रतिवादी द्वारा उपलब्ध कराया गया जवाब न्यायोचित पाया गया और इसमें किसी प्रकार की कमी नहीं है। ऐसे में, इसमें दखल करने की कोई जरूरत नहीं है।