धर्मनगरी खरसिया के धन्य धरा में गेंद लाल श्रीवास परिवार,चपले ग्रामवासी,क्षेत्रवासियों, की ओर से नंदेली रोड स्थित कथा स्थली में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ पुराण सप्ताह के राष्ट्रीय सनातन धर्म रक्षक प्रवक्ता श्री इन्द्रेश उपाध्याय जी महाराज रुक्मिणी और शिशुपाल के विवाह की तारीख तय हो गई। रुक्मिणी के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं।
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परमात्मा बिना मांगे ही भक्तों को सब कुछ प्रदान कर देता है। जिस प्रकार भगवान द्वारिकाधीश ने अपने परम भक्त और बालसखा सुदामा को बिना मांगे ही दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया था।
कथा प्रवाह को आगे बढ़ाते हुए उपाध्याय जी ने कहा कि सुदामा भगवान द्वारिकाधीश के परम भक्त और बालसखा हैं। साधनहीन होते हुए भी वह भगवान में पूरी तरह आसक्त हैं और भगवान का गुणगान करते हुए भिक्षा में जो कुछ भी मिल जाता उसी में संतुष्ट रहते हुए वह अपनी गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे हैं।
कभी कभी तो भिक्षा में जब कुछ भी नहीं मिलता तो पूरे परिवार को भूखा ही सोना पड़ता है। एक बार जिद करके उनकी पत्नी ने उन्हें द्वारिकाधीश के पास जाने के लिए विवश कर दिया तो वह अनमने मन से तैयार हो गए।
मित्र के घर खाली हाथ न जाना पड़े सो उनकी पत्नी ने पड़ोसियों से मांग कर लाए गए तंदुल एक पोटली में बांध कर सुदामा को दे दिए। हरिनाम स्मरण करते हुए कई दिनों की थका देने वाली यात्रा पर निकले सुदामा को राह में भगवान द्वारिकाधीश वेश बदलकर मिलते हैं और उन्हें द्वारिकापुरी पहुंचाने में सहायता करते हैं।
वहां पहुंचने पर द्वारिकाधीश ने उनका भव्य स्वागत किया।
भावविह्वल द्वारिकाधीश अपने मित्र को सामने पाकर अपने अश्रु नहीं रोक सके और आंसुओं से ही उनका पद प्रक्षालन किया।
द्वारिकाधीश ने सुदामा की कांख में दबी पोटली लेकर दो मुट्ठी तंदुल अपने मुख में डाल कर उन्हें दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया। इसके बाद प्रसाद वितरण…