छत्तीसगढ़रायपुर

गोबर से जैविक खाद निर्माण सहित विभिन्न उपयोगी उत्पाद तैयार करने पर मंथन : कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षा में गोधन न्याय योजना की समीक्षा

गोधन न्याय योजना के तहत अब तक हितग्राहियों को लगभग
30 करोड़ रूपए का हो चुका है भुगतान

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रायपुर ।  कृषि और पशुपालन मंत्री  रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में आज गोधन न्याय योजना के तहत गौठान समितियों के माध्यम से खरीदे गए गोबर से जैविक खाद निर्माण सहित उसकी बहुउपयोगिता पर मंथन किया गया। बैठक में जैविक खाद निर्माण की स्थिति, पैकेजिंग और मार्केटिंग पर विस्तार से चर्चा की गई। गोबर और बायोमास से बायो सीएनजी तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया। रविन्द्र चौबे ने छोटी-छोटी परियोजना तैयार कर गोबर को लाभकारी बनाने पर जोर दिया।

मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि 20 जुलाई हरेली पर्व से प्रारंभ हुई गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक गौपालकों एवं गोबर विक्रेताओं से प्रदेश के 3247 से अधिक गौठानों में गौठान समितियों के माध्यम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से पशुपालकों और गोबर संग्राहको से लागभग 30 करोड रूपए का गोबर खरीदा जा चुका है। रविन्द्र चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना से जिस प्रकार पशुपालकों और गरीब ग्रामीण गोबर विक्रेताओ को मिल रहा है, इसे और व्यापक बनाते हुए खरीदे गए गोबर से जैविक खाद निर्माण सहित मल्टी उत्पाद और बहुउपयोगी बनाकर ग्रामीणों और महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने सहकारिता विभाग के जरिए किसानों को आसानी से जैविक खाद उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया।

बैठक में रविन्द्र चौबे ने बताया कि  गौठानों में तैयार की गई वर्मी कम्पोस्ट ‘गोधन वर्मी कम्पोस्ट‘ के नाम से लॉन्च किया गया है इसका प्रचार-प्रसार किया जाए। उन्होंने योजना से  अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए वर्मी कम्पोस्ट के पैकेजिंग का कार्य महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपें जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। गोेबर से मल्टी उत्पाद तैयार करने के लिए शहरी महिलाओं की तरह ग्रामीण क्षेत्रों के महिला समूहों को भी आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने पर बल दिया। उन्होंने नियमित रूप से गौठानों में निरीक्षण कर जैविक खाद निर्माण पैंकेजिंग और मार्केंटिंग पर विशेष ध्यान देने तथा योजनाबद्ध तरीके से काम करने के भी निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि इस योजना को और अधिक लाभकारी कैसे बनाए जाए इस दिशा में क्या-क्या किया जा सकता है इस पर भी विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि इस योजना के जरिए राज्य में 700 से 800 करोड़ रूपए की वर्मी कम्पोस्ट खाद का कारोबार महिला समूहों एवं सोसायटियों के माध्यम से होगा। इससे ग्रामीणों को रोजगार और सोसायटियों को संबल मिलेगा।

बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, कृषि विभाग की सचिव डॉ. एम. गीता, नगरीय प्रशासन विभाग की सचिव श्रीमती अलरमेलमंगई डी., सहकारिता सचिव एवं प्रबंध संचालक मण्डी बोर्ड  हिमशिखर गुप्ता, संचालक कृषि नीलेश क्षीरसागर, दाउ वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यायलय के कुलपति डॉ. एन.पी. दक्षिणकर और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. के. पाटिल, उद्योग विभाग के अपर संचालक प्रवीण शुक्ला, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल अथॉरिटी के अधिकारी सहित संबंधित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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