देश /विदेश

‘परम बीर सिंह ने प्रताड़ित किया, धमकी दी मेरी पत्नी और बेटी की नग्न परेड करवाएँगे, सभी अधिकारी रेप करेंगे’

मुंबई पुलिस के कमिश्नर परम बीर सिंह फिर विवादों के केंद्र में हैं। उन्होंने एक टीआरपी स्कैम का दावा करते हुए रिपब्लिक टीवी का नाम लिया। लेकिन जो तथ्य सामने आए हैं उससे पता चला है कि इस संबंध में की गई शिकायत में इंडिया टुडे का नाम है।

इससे पहले वे इसी तरह सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जाँच में मुंबई पुलिस का ढुलमुल रवैए को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर आलोचना का केंद्र बिंदु बने थे।

उस समय भी विवाद मुंबई पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह द्वारा किए गए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ही शुरू हुआ था। परम बीर सिंह ने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि मुंबई पुलिस के संज्ञान में आया है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित थे और इसका इलाज चल रहा था। मुंबई पुलिस कमिश्नर ने दावा किया था कि सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी मौत से पहले ‘दर्द रहित मौत’, ‘सिज़ोफ्रेनिया’ (schizophrenia) और ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ जैसे शब्द सर्च किए थे।

हालाँकि परम बीर सिंह के दावों को जल्द ही पलट दिया गया। टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट में बताया गया कि अभिनेता ने अपनी मौत से पहले हिमाचल प्रदेश, केरल और कूर्ग में संपत्ति, फॉर्म आदि सर्च किया था, जो कि परम बीर सिंह के दावों के विपरीत था।

इसके कुछ दिनों बाद परम बीर सिंह फिर से एक बड़े विवाद में फँस गए, जब उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ सोशल मीडिया पर किए गए अपमानजनक ट्वीट को ‘लाइक’ किया था। इसके बाद कंगना रनौत ने दावा किया था कि मुंबई पुलिस कमिश्नर ऐसे अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट्स को लाइक कर रहे हैं जो सुशांत को न्याय दिलाने की आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ लिखे गए हैं। उन्होंने लिखा कि सार्वजनिक रूप से परेशान करने वालों और धमकाने वालों की निंदा करने का बजाय इसे प्रोत्साहित कर रहे हैं।

कंगना के ट्वीट के बाद मुंबई पुलिस ने अपने कमिश्नर का बचाव किया और अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, ‘इस ट्वीट को मुंबई पुलिस कमिश्नर द्वारा कभी लाइक नहीं किया गया है। साइबर पुलिस स्टेशन को स्क्रीनशॉट की जाँच के लिए कहा गया है।’

दिलचस्प बात यह है कि यह पहला मौका नहीं है जब परम बीर सिंह का नाम इस तरह के विवादों में शामिल हुआ है। परम बीर सिंह और विवादों का पुराना इतिहास रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि करियर के लगभग तीन-दशक के विभिन्न हाई-प्रोफाइल विवादों में उनका नाम शामिल रहा है।

परम बीर सिंह ने सिंचाई घोटाले में अजित पवार को क्लीनचिट दे दी

1988 बैच के आईपीएस अधिकारी परम बीर सिंह को इस साल फरवरी में मुंबई पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। मुंबई पुलिस प्रमुख के तौर पर नियुक्ति से पहले वे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के महानिदेशक (DG) थे।

महाराष्ट्र एसीबी में भी परम बीर सिंह का कार्यकाल विवादास्पद रहा है। सिंह ने पिछले साल दिसंबर में सिंचाई घोटाले में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को क्लीनचिट दे दी थी। अजित पवार 12 विदर्भ सिंचाई विकास निगम (VIDC) परियोजनाओं से जुड़े एक घोटाले में आरोपित थे।

2009 में परम बीर सिंह पर ड्रग मामले में प्रोवोग के सह-मालिक सलिल चतुर्वेदी को झूठे केस में फँसाने का आरोप लगाया गया था। एसीपी पश्चिमी क्षेत्र के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सिंह और उनकी टीम ने ड्रग के मामले में सलिल चतुर्वेदी को गिरफ्तार किया था। हालाँकि, सालों बाद चतुर्वेदी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

चतुर्वेदी की रिहाई के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे स्थित राज्य सीआईडी को मामले में पुलिसकर्मियों की भूमिका की जाँच करने का निर्देश दिया था। जाँच के बाद, महाराष्ट्र CID ने पाया कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने चतुर्वेदी के आवास में कोकीन प्लांट किया था।

मुंबई मिरर के अनुसार, सलिल चतुर्वेदी पर छापा मारने वाले पुलिसकर्मियों में से एक अशोक भोसले ने कबूल किया था कि उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर व्यवसायी के घर में ड्रग्स प्लांट करने के लिए कहा गया था। हालाँकि बाद में सीआईडी के सामने वो अपने बयान से पलट गए। तब सीआईडी ने आरोप लगाया था कि भोसले ने ऐसा परम बीर सिंह के दबाव में आकर किया।

परम बीर सिंह के खिलाफ अत्याचार के आरोप

परम बीर सिंह के सबसे विवादास्पद कार्यकालों में से एक एटीएस में उनका कार्यकाल था। परम बीर सिंह पर भोपाल की वर्तमान सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह साध्वी ने गंभीर अत्याचार का आरोप लगाया गया था।

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया था कि कथित ‘भगवा आतंक मामले’ में भूमिका जबरदस्ती कबूल करने के लिए मुंबई एटीएस द्वारा उन पर काफी अत्याचार किया गया था। मुंबई एटीएस के सदस्यों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए साध्वी प्रज्ञा ने खुलासा किया था कि परम बीर सिंह सहित एटीएस अधिकारियों ने उन्हें अवैध हिरासत में रखा था और 13 दिनों तक उन्हें प्रताड़ित किया था।

साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया था कि खानविलकर, परम बीर सिंह और (दिवंगत) हेमंत करकरे, सभी ने उन्हें प्रताड़ित किया। साध्वी प्रज्ञा का कहना था कि आजादी से पहले या बाद में कभी भी किसी महिला को इतना प्रताड़ित नहीं किया गया होगा, जितना उन्हें किया गया।

साध्वी ने 2008 में एक न्यायाधीश के समक्ष बताया था, ‘धमाके में शामिल होने की बात कबूल नहीं करने पर एटीएस के अधिकारियों ने मुझे कपड़ा उतारने और उल्टा लटकाने की धमकी दी।’

एक अन्य आरोपित और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी रमेश उपाध्याय ने भी सिंह के खिलाफ प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (एटीएस) परमबीर सिंह और सुखविंदर सिंह ने हिरासत में उन्हें काफी टॉर्चर किया।

उपाध्याय ने कहा, ‘परम बीर सिंह और सुखविंदर ने मुझे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और फिर धमकी दी कि वो मेरी पत्नी और बेटी को थाने में निर्वस्त्र परेड करवाएँगे और सभी अधिकारी उसके साथ बलात्कार करेंगे।’

परम बीर सिंह के खिलाफ याचिका

2009 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के तुरंत बाद हमले के दौरान कर्तव्य की लापरवाही के आरोप में परमबीर सिंह और तीन अन्य अतिरिक्त पुलिस कमिश्नरों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।

एक जनहित याचिका (PIL) में इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि परम बीर सिंह जैसे अधिकारी तत्कालीन पुलिस कमिश्नर के आदेशों का पालन करने में विफल रहे थे।

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि अगर वरिष्ठ अधिकारियों ने आदेशों का पालन किया होता तो स्थिति को बहुत पहले ही नियंत्रण में लाया जा सकता था और कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी। याचिकाओं में कहा गया था कि अगर अधिकारी ठीक से काम करते तो 2 और आतंकवादी जिंदा पकड़े जा सकते थे।

याचिका में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर हसन गफूर के हवाले से कहा गया था कि इन अधिकारियों ने उनके आदेशों की अवहेलना की थी और मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी ड्यूटी निभाने में विफल रहे थे। इसके साथ ही याचिका में कहा गया था कि अधिकारियों ने आतंकवादियों से मुकाबला करने से इनकार कर दिया था और परेशानी वाले क्षेत्रों से दूर रहकर कंट्रोल रूम को गलत रिपोर्ट दी।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!