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तीज पर्व पर सुहागिनों ने रख व्रत…पूजा अर्चना कर पति के दीघार्य की कामना की
वैसे तो कला और संस्कारधानी नगरी में तीज-त्यौहारों को यादगार मनाने की शुरू से परंपरा रही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद आने वाले हरतालिका तीज व्रत की बात ही निराली होती है। सुहागिनों के लिए सौभाग्य का द्वार खोलने वाला तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज के रूप में महिलाएं पूरे हर्षोल्लास से मनाती हैं। व्रती महिलाओं ने मां गौरी और भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा अर्चना की और पति सहित पूरे परिवार के लिये सुख समृद्धि की कामना भी की गई। आजकल कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के साथ इस व्रत को रखती हैं। हरतालिका तीज के दिन महिलाएं नख से शिख तक पूरे 16 श्रृंगार करते हुए भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
करवा चौथ, हरियाली तीज, कजरी तीज और वट सावित्री जैसे सभी व्रतों में हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है। ये निर्जला व्रत होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है।