फर्जी कॉल सेन्टर चलाकर 5 राज्यों से ई चालान की वसूली
पुलिस को इस तरह की ठगी का पता तब चला जब हितेश कुमार साहू नामक शख्स ने थाना पुरानी बस्ती में रिपोर्ट दर्ज कराया कि वह सुभाष नगर प्रोफेसर कालोनी में किराये के मकान में रहता है। दिनांक 23.01.22 को यातयात पुलिस रायपुर द्वारा प्रार्थी को बिना हेलमेट वाहन चलाने के संबंध में ई-चालान जारी किया गया था, जिसकी सूचना प्रार्थी को उसके मोबाईल नम्बर में मैसेज के माध्यम से प्राप्त हुई। प्रार्थी द्वारा उक्त चालान का भुगतान उस समय नहीं किया गया था। इसी दौरान दिनांक 01.07.2022 को मोबाईल नंबर 8745087152 तथा 8874635467 धारक एक महिला द्वारा प्रार्थी के मोबाईल नम्बर में व्हाट्सएप के माध्यम से ई-चालान एवं क्यू आर कोड भेजकर, उस कोड के माध्यम से भुगतान करने की बात कही गई तथा महिला द्वारा स्वयं को सी.जे.एम. कोर्ट बिलासपुर से होना बताया गया एवं चालान का भुगतान नहीं करने पर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की बात कही गयी।
क्यू.आर. कोड से नहीं होता चालान का भुगतान
यातायात पुलिस वाहन मालिकों को जो भी चालान भेजती है उसका भुगतान कभी भी क्यू.आर. कोड भेजकर नहीं कराया जाता, मगर इसकी जानकारी हितेश कुमार साहू को नहीं थी। उसने इसी दिन दोपहर 02.44 बजे मोबाइल पर आये क्यू.आर. कोड के माध्यम से 500/- रूपये का भुगतान कर दिया। प्रार्थी द्वारा ऑनलाईन स्टेटस चेक करने पर भुगतान नहीं होना तथा यातायात पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति को क्यू.आर. कोड भेजकर पेमेंट प्राप्त करना नहीं बताया गया। जिसके बाद उसने अज्ञात आरोपी के खिलाफ थाना पुरानी बस्ती में FIR दर्ज कराया गया।
स्पेशल टीम गठित कर की गई जांच
यातायात पुलिस रायपुर के नाम पर ई-चालान एवं क्यू.आर.कोड भेजकर ठगी करने की राज्य में नए तरीके के वारदात के खुलासे के लिए SSP ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, अपराध के निर्देशन में ए.सी.सी.यू. की विशेष टीम गठित कर घटना के सभी पहलुओं का तकनीकी रूप से जांच करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मोबाईल नंबर्स तथा ट्रांजक्शन हिस्ट्री प्राप्त किया गया तथा आरापियों को चिन्हांकित किया गया। टीम को जांच के दौरान दिल्ली, उ.प्र. के कुछ संदिग्ध मोबाईल नंबरों की जानकारी प्राप्त हुई, जो दिल्ली के तिलक नगर के ईलाके से फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर रहे है तथा अलग-अलग राज्यों में न्यायालय में ई-चालान भुगतान करने के लिए कॉल कर रहे है तथा उन्हें भुगतान नहीं करने पर कानूनी कार्यवाही का डर दिखाकर क्यू.आर. कोड भेजकर अवैध भुगतान प्राप्त कर रहे है।
कुरियर ब्वॉय बनाकर खोजा ठगों का ठिकाना
पुलिस की 10 सदस्यीय टीम ने दिल्ली/उ.प्र. के मयूर विहार, अशोक नगर, तिलक नगर एवं मुजफ्फर नगर पहुंचकर वहां पर प्राप्त मोबाईल नंबरों के लोकेशन के आधार पर लगातार कैम्प करते हुए आरोपियों के संबंध में जानकारियां जुटाना प्रारंभ किया गया। टीम के सदस्यों ने डी.टी.सी. कुरियर का कुरियर ब्वॉय बनकर आरोपियों के मोबाईल नंबरों के लोकेशनों में जाकर उनके ठिकानों को तस्दीक की।
कॉल सेंटर में लोगों को फोन करते पकड़ाया गिरोह
टीम के सदस्यों द्वारा दिल्ली के तिलक नगर में वेल्यू सर्विसेस प्राय.लिमि. कंपनी के नाम पर कोई कॉल सेंटर का संचालित होना पाया गया जहां टीम द्वारा रेड कार्यवाही की गई। रेड कार्यवाही के दौरान कुछ युवक एवं युवतियां फोन पर कॉल करते हुए मिले। कॉल सेंटर में 02 युवक तथा 04 युवतियां मिले जो अपना नाम क्रमशः विभांशु गर्ग, सुमित कुमार ठाकुर, नेहा शर्मा, रानी, सत्या एवं जन्नत अंसारी होना बताएं।
एमकॉम-एमबीए पास मिला डायरेक्टर
कंपनी के डायरेक्टर विभांशु गर्ग ने बताया कि वह एम कॉम व एम.बी.ए. की पढ़ाई किया है तथा 02 वर्ष पूर्व घुमले कंपनी टूर एण्ड ट्रेवल्स का संचालन करता था, साथ ही लेट्स कनेक्ट कंपनी जिसमें सॉफ्टवेयर डेव्हलमपेंट, एप्लीकेशन डेव्हलमपेंट, वेब साईट डेव्हलमपेंट, गुगल एडवर्स, यू-ट्यूब प्रमोशन एण्ड डेव्हलमपेंट, कंटेंट राईटिंग, वर्चुवल नंबर एवं सोशल मीडिया प्रमोशन का काम करता था।
वेंडर्स से किया डाटा का जुगाड़..?
विभांशु गर्ग अपने काम के दौरान कुछ डाटा वेंडर्स के संपर्क में आया और वेंडर्स से अलग – अलग राज्यों के ई-चालान का डाटा खरीदकर ठगी का नया धंधा चालू कर दिया। उसने फर्जी ई-चालान का पेमेंट हासिल करने के लिए तिलक नगर में वेल्यू सर्विसेस प्राय.लिमि. कंपनी खोलकर काम करना प्रारंभ किया। उसने वर्क इंडिया एप के माध्यम से कंपनी में काम करने के लिये युवक एवं युवतियों को अपाईंट किया तथा उन्हें ट्रेनिंग देकर फर्जी ई-चालान से भुगतान फर्जी खातों में रकम ट्रांसफर कराकर प्राप्त करने लगा।
कॉल सेंटर में मिले अत्याधुनिक सामान
पुलिस ने कॉल सेंटर से करीब 25 कम्प्यूटर, 35 मोबाईल फोन, दर्जनों फर्जी सिम, डॉयलर मशीन, पेन ड्राईव एवं 02 नग लैपटॉप बरामद किया, जिसमें विभिन्न राज्यों के ई-चालान का डाटा भी प्राप्त हुए हैं। आरोपियों द्वारा फर्जी कॉल सेंटर के माध्यम से उड़ीसा, हिमांचल प्रदेश, उ.प्र., बिहार के लोगों के साथ भी ठगी की गई है।
कौन मुहैया कराता है डाटा ..?
पुलिस के मुताबिक ठगों के इस गिरोह के पास उन वाहन मालिकों की पूरी जानकारी होती थी जिनका ई-चालान यातायात पुलिस द्वारा जारी किया जाता था, वाहन मालिक के गाड़ी के नंबर के अलावा उसका मोबाइल नंबर, चालान की रकम, पता सभी जानकारियां। यहां तक कि अगर किसी ने चालान पटा दिया है तो उसकी भी जानकारी उनके पास आ जाती थी।
जानें कैसे बनता है ई-चालान..?
राजधानी रायपुर में ITMS में कैमरों के माध्यम से यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों के इमेज और उनका नंबर निकाल कर NIC को भेजा जाता है, जहां से वाहन मालिक का पूरा डाटा निकाल कर दे दिया जाता है। इसके बाद यातायात पुलिस ई-चालान तैयार करके वाहन मालिक को डाक के माध्यम से भेजता है, साथ ही इसकी एक प्रति RTO कार्यालय को भेजी जाती है, जहां संबंधित वाहन मालिक का रजिस्ट्रेशन नंबर ब्लॉक कर दिया जाता है, ताकि वह वाहन की खरीद-बिक्री न कर सके। इसके अलावा यातायात पुलिस के स्टाफ द्वारा वाहन मालिक द्वारा RTO को दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क करके उसका ई-चालान काटे जाने की जानकारी देकर चालान पटाने का सुझाव देता है।
इस पूरी प्रक्रिया पर अगर नजर डालें तो कुछ विभागों के पास ही ई-चालान की जानकारी होती है। ऐसे में डाटा कौन लीक करता है यह जांच का विषय है। हालांकि इस संबंध में SSP का कहना है कि ठगों द्वारा कुछ सॉफ्टवेयर के माध्यम से डाटा हासिल किये जाने की जानकारी भी मिल रही रही है। पुलिस इसका भी पता लगा रही है और डाटा लीक करने वालों को जल्द ही पकड़ने का दावा कर रही है।