छत्तीसगढ़

टीबी मरीजों की खोज के लिए तीन महीने तक चला घर-घर सर्वे…

रायगढ़। जिले में टीबी के प्रति किये जा रहे प्रयासों से जिले को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। इस गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों की खोज, संवेदनशील इलाकों में जांच, सर्वे के दौरान संभावित मरीजों की पहचान, उनका समय पर इलाज सहित निक्षय पोर्टल पर समय से हुई एंट्री, आदि प्रमुख कारणों के चलते टीबी इंडेक्स रैंकिंग में 72.55 प्रतिशत अंक हासिल करते हुए रायगढ़ जिला प्रदेश में बेहतर रहा है।

जिले में क्षय रोग से मुक्ति के लिए समय-समय पर विशेष अभियान चलाया जाता रहा है। इसके तहत यहाँ के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में क्षय रोगियों (टीबी रोगियों) की पहचान की गई। 25 मई से 25 जुलाई तक घर-घर सर्वे में कुल 5,008 टीबी के संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग हुई। इनमें जांच उपरांत शासकीय और निजी अस्पतालों को मिलाकर कुल 144 टीबी के मरीज मिले हैं, जिनका पंजीकरण कर इलाज शुरू किया जा चुका है।

वहीँ हाल में जारी हुयी टीबी इंडेक्स रैंकिंग में बस्तर प्रथम स्थान पर रहा है जबकि रायगढ़ जिले ने टॉप टेन में अपनी जगह बनाई है। विदित हो कि इस रैंकिंग में रायपुर को 63 और बिलासपुर को 62 प्रतिशत अंक मिले हैं।

इस सम्बंध में जानकारी देते हुए जिला सीएमएचओ एसएन केसरी ने बताया: “जिले के सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी के इलाज के जांच की सुविधा और दवा उपलब्ध है। वर्तमान में जिले में कुल 37 एक्टिव डीएमसी (डेजिगनेटेड माइक्रोस्कोपी सेंटर) टीबी जांच के लिये उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त शासकीय अस्पताल और सभी सीएचसी में एक्सरे की सुविधा है। डॉट सेंटर्स या डॉट प्रोवाइडर्स के माध्यम से भी टीबी से पीड़ित मरीजों को घर के पास या घर पर ही दवाई उपलब्ध कराई जा रही है।“

आगे उन्होंने बताया: ” भारत से टीबी को 2025 तक पूर्ण रुप से समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। परंतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य को 2023 तक टीबी मुक्त बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत रायगढ़ जिले में युद्ध स्तर पर टीबी नियंत्रण की दिशा में कार्य किया जा रहा है।”

जिला क्षय नियंत्रण नोडल अधिकारी डॉ. जया कुमारी चौधरी ने बताया: “टीबी के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने, थूकते समय बलगम या थूक की छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैलने से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। टीबी का बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकता है। जो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस के माध्यम से प्रवेश करके रोग पैदा कर सकता है। एक मरीज 15-20 स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है। टीबी के प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी का होना, खांसी के साथ बलगम आना, कभी−कभी थूक में खून आना, वजन का कम होना, भूख में कमी होना, सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत, शाम या रात के समय बुखार आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों के होने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अवश्य रूप से जांच कराएं।“

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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