महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक टिकवेंद्र जाटवार बताते हैं “ अक्षय तृतीया पर प्रदेश में भले ही बाल विवाह कराने की परंपरा रही हो पर जिले में इस दिन विशेष का अभी तक बाल विवाह के संदर्भ में विशेष महत्व देखने को नहीं मिला है। एहतियातन कदम उठाए गए हैं। जैसे ही हमें बाल विवाह की सूचना मिलती है हमारी टीम कार्रवाई करती है। इसके लिए जिला स्तरीय, विकाखंड स्तरीय और ग्राम स्तरीय टीम का गठन किया गया है। फिलहाल हमें एक जगह बाल विवाह की सूचना मिली है जिस पर कार्रवाई के लिए टीम भेजी गई है। बाल संरक्षण अधिकारी दीपक डनसेना बताते हैं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के तहत बाल विवाह को रोकने के लिए हमारी टीम मुस्तैद है। हमने जिले के सभी 774 ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत बाल संरक्षण समिति का गठन किया है। जिन्हें बाल विवाह को रोकने और बाल विवाह से संदर्भ में जानकारी देने को कहा गया है। आमतौर पर देखा गया है कि बाल विवाह घर के अलावे मंदिर और सामुदायिक भवनों में होते हैं। हमने मंदिर के ट्रस्टियों और सामुदायिक भवन संचालकों से भी बाल विवाह के संदर्भ में वर-वधु की आयु जांच और संदेह होने पर हमें सूचित करने को कहा है। इसके साथ ही चाईल्ड हेल्पलाईन नम्बर 1098 से भी कोर्डिनेट कर सकते है । सभी से अपील कि है अगर कहीं भी बाल विवाह हो रहा हो तो तुरंत सुचित करें। शंका होने पर भी अधिकारी विवाह सम्मेलन में पहुंचकर वर-वधू की आयु संबंधी दस्तावेज़ों को भी जांचेंगे।
कच्ची उम्र में विवाह के नुकसान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केसरी बताते हैं “18 की आयु से पहले विवाह करने से स्वास्थ्य से सम्बंधित कई गंभीर समस्याएं हो सकतीं है । कम उम्र में लड़की का शरीर पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है। इसलिए कम उम्र में शादी होने से गर्भपात के खतरे के साथ ही अन्य घातक बीमारियां जैसे योनि कैंसर का खतरा भी अत्यधिक बढ़ जाता है। कम आयु में अपरिपक्वता एवं अज्ञानता के कारण बहुत सारे शारीरिक बदलाव को बच्चियां समझ नहीं पाती हैं ऐसे में अनजाने में उन्हें अनेकों स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें हो जातीं हैं।”
5 साल में 45 बाल विवाह के मामले हुए दर्ज
बाल विवाह को रोकने में सक्रिय चाइल्ड लाइन के जिला कॉर्डिनेटर श्याम सुंदर यादव बताते हैं कि बाल विवाह गैर कानूनी है और अब लोगों में इसके लिए जागरूकता भी आई है। आप बीते 5 साल के आंकड़ें देख सकते हैं 2021-22 में 22 मामले, 2020-21 और 2019-20 में 7-7 मामले क्योंकि कोविड प्रतिबंध था, 2018-19 में 10 और 2017-18 में 15 मामले आए थे। लोगों में कार्रवाई का भय भी है और जिला स्तर पर मॉनिटरिंग और सक्रियता ने भी बाल विवाह पर लगाम लगाया है जिसका परिणाम है कि सर्वार्थ मुहूर्त पर होने वाले बाल विवाह पर जिले में फिलहाल लगाम लगी हुई है।