खरसियाछत्तीसगढ़रायगढ़

बच्चों को असाध्य रोगों से बचाता है टीका-कृष्ण कुमार पटेल

किसी बीमारी के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक क्षमता (इम्यूनिटी) विकसित करने के लिए जो दवा पिलाई दी जाती है, उसे टीका कहते हैं। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण सर्वाधिक प्रभावी एवं सबसे सस्ती विधि मानी जाती है। लेकिन रूढ़िवादी परंपराओं के चलते ग्रामीण क्षेत्र में कई बच्चे टीकाकरण से अछूते रह जाते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें असाध्य रोगी बना देता है।

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हर साल 16 मार्च राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पहली बार 16 मार्च 1995 को मनाया गया था। इस दिन भारत में वर्ष 1995 में मुंह के माध्यम से पोलियो वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी। खण्ड चिकित्साधिकारी डॉक्टर अभिषेक पटेल बताते हैं कि टीके लगवाने के दिन अगर बच्चा मामूली रूप से बीमार रहे मसलन सर्दी-जुकाम, दस्त या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हो तब भी उसे समयानुसार टीके लगवाना सुरक्षित है। शिशु को लगने वाला कोई टीका पकता है और किसी को बुखार आता है या दर्द होता है तो ऐसी स्थिति में घबराएं नही। टीबी की बीमारी से बचाने वाला बीसीजी टीका पक भी सकता है। टीका पकना या बुखार आना यह बताता है कि टीके ने अपना काम कर दिया है।और अब बच्चा उस बीमारी से बचा रहेगा। शिशु को टीके लगवाते समय अभिभावकों, परिजनों को एएनएम दीदी से टीके के प्रभाव के बारे में पूछना चाहिए। हर मां-बाप अपने बच्चों की टीकाकरण की तारीख व दिन याद रखें।

सिविल हॉस्पिटल प्रभारी डॉ पटेल बताते हैं कि शून्य से दो साल तक के बच्चों 6 तरह की जानलेवा बीमारियों से टीकों द्वारा बचाव किया जा सकता है। गर्भवती को टिटनेस के टीके जरूर लगवाने चाहिए, जिससे डिलीवरी के समय बच्चे को टिटनेस का डर न रहे। बच्चे के पैदा होते ही बीसीजी का टीका और पोलियो ड्रॉप्स पिलानी चाहिए। बीसीजी का टीका टीबी रोग से बचाव करता है। फिर डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह में बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाई जाती हैं, जिससे बच्चे की पोलियो से सुरक्षा होती है। पोलियो के साथ डीपीटी, पीलिया ‘बी और निमोनिया के तीन टीके डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह में लगाए जाते हैं।

क्या है टीकाकरण

सिविल हॉस्पिटल प्रभारी डॉ दिलेश्वर पटेल बताते हैं कि बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर टीके लगाए जाते हैं, जिससे बच्चों के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। टीकाकरण से बच्चों को छह गंभीर संक्रामक रोगों से बचाया जाता है। इन रोगों की वजह से प्रतिदिन हजारों बच्चों की जान चली जाती है या वह अपंग हो जाते हैं। इन रोगों में खसरा, टेटनस, पोलियो, टीबी, गलघोंटू, काली खांसी, हेपेटाइटिस बी से रोग हैं। पोलियो के अतिरिक्त सभी टीके इंजेक्शन द्वारा दिए जाते है।

गर्भवती को लगते टिटनेस से बचाव के टीके

खरसिया सिविल हॉस्पिटल के डॉ कुंती नायक बताती हैं कि गर्भवती को टिटनेस के टीके लगाकर उन्हें व उनके नवजात शिशुओं को टिटनेस से बचाया जाता है।

याद रखे

1- बच्चों मे बीसीजी का टीका, डीपीटी के टीके की तीन खुराके, पोलियो की तीन खुराकें व खसरे का टीका उनकी पहली वर्षगांठ से पहले अवश्य लगवा लेना चाहिए।

2- यदि भूलवश कोई टीका छूट गया है तो याद आते ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता/चिकित्सक से संपर्क कर टीका लगवाएं। यह सभी टीके उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला महिला अस्पताल पर निरूशुल्क उपलब्ध हैं।

3- टीके तभी पूरी तरह से असरदार होते हैं जब सभी टीकों का पूरा कोर्स सही उम्र पर दिया जाए।

4- मामूली खांसी, सर्दी, दस्त और बुखार की अवस्था में भी यह सभी टीके लगवाना सुरक्षित है।

पल्स पोलियो अभियान में सबसे ज्यादा कवरेज करने वाले कार्यकर्ता को जनपद उपाध्यक्ष कृष्णा कुमार पटेल, चपले उपसरपंच हीरालाल पटेल के हाथो सम्मानित किया गया ।एएनएम हीरा बंजारे सब सेंटर मौहापाली आएचओ भूपति बघेल सब सेंटर कुनकुनी मितानिन दयामती ग्राम किरीतमाल,कान्ती बरेठ तेलीकोट ,बीएमओ डॉक्टर अभिषेक पटेल बीपीएम सूरज पटेल, डॉक्टर अजय पटेल,बीईटीओ पदमा खेस और कृष्ण चन्द पटेल की गौरवपूर्ण उपस्थिति मे…

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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