राम भजन छंद सरिता का समग्र रूप
उमेश नन्दकुमार पटेल उच्च शिक्षा मंत्री, डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम शिक्षा मंत्री, सत्य नारायण शर्मा पूर्व मंत्री के करकमलों से बड़े सौम्य वातावरण में विमोचित…
हिंदी साहित्य की विकास यात्रा में काव्य विधा का अत्यंत दीर्घ एवं समृद्ध स्थान है आदि काल से भक्ति काल और रीतिकाल होते हुए आधुनिक काल और अब उत्तर आधुनिक काल के दौर में समकालीन रचना प्रवृत्तियों की सुदीर्ध यात्रा में कविता कामिनी ने समय-समय पर अपने कलेवर एवं तेवर बदले हैं इस बदलाव के सातत्य में कविता को विषय वस्तु बीरगाथा भक्ति भावना श्रृंगार रीती प्रकृति व रहस्य आदि अनेक क्षेत्रों में परिभ्रमण करते हुए आज के परिवेश में दलित स्त्री विकलांग आदिवासी वनवासी कृषक किन्नर बाल बुजुर्ग जैसे हाशिए के विविध क्षेत्र का स्पर्श करने का भरसक प्रयास किया है जिसमें वह सफलता की ऊंचाई पर स्थित भी हुई है इस मायने में साहित्य अपने लोग उन्मुक्ति स्वरूप में अधिक पुष्ट हुआ है साथ ही साहित्य के शिल्प पक्ष भी सरलीकरण की ओर अग्रसर हुआ है महापुराण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के ने जब परिमल की भूमिका में कविता को छन के बंद धन से मुक्त करने की बात कही इस विचार व कार्य ने बहुत ही सशक्त रुख अपना लिया और लगातार कविता छंदों के बंधन से मुक्त होते हुए चलने लगी और सच यही है कि आज के दौर में ऐसी रचनाओं की बहुतायत है ऐसे समय में किसी कवि द्वारा छंद बोधन रचना करना अपने आप में सहासिक श्रम साध्य कार्य है साथ ही साहित्य को छंदों बंद कर रचनाओं का पुनर्जागरण इस कृति के रचयिता ने अनेक मात्रिक छंदों का उपयोग किया है जिससे कुंडलिया दोहा सोरठा चौपाई गीतिका हरिगीतिका मालिनी मंदाक्रांता सवैया मदिरा गुलामी सुंदरी धरण सहित अनेकों को समाहित किया है यथा स्थान छंदों का लक्षण बताया गया है तत्पश्चात उत्सव पर भावों को व्यक्त करने वाले शब्द है उल्लेखनीय है कि आलोच्य संग्रह में न केवल चंदू का कौशल व्यक्त हुआ है
बल्कि की गंभीरता भी बहुत महत्वपूर्ण है दोनों के अंतर्गत परिवर्तन चक्र के स्वरूप महत्व है और स्वरूप भूमिका पर विचार व्यक्त किया गया है दोहा खंड में ही माता प्रार्थना आत्मनिर्भर सेवा भाव प्रशंसा का महत्व जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर महत्वपूर्ण शर्तें कहीं गई है ठंड में तन से अधिक मन के महत्व पर प्रकाश डाला गया है
साथ ही दयानंद सरस्वती आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण प्रस्तुत कर प्रेरणा दी गई है सुंदरी सवैया में कृषक जीवन का मार्मिक चित्रण किया गया है इसी श्रृंखला में खेती के साथ भक्ति की भी महत्ता का रेखांकन किया गया है छपरा के अंतर्गत बच्चों के साथ भक्ति की भी माता का रेखांकन किया गया के अंतर्गत बच्चों के स्कूल परिवेश गुरु शिष्य संबंध रोकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों का सम्मान किया गया है चौपाई के अंतर्गत स्वर्ग नरक की अवधारणा विचार शक्ति का महत्व साथ ही ज्ञान की के रूप में जिज्ञासा का निराकरण ढंग से किया गया है इसी तरह एक अत्यंत ध्यानाकर्षण है कुंडली का इसके अंतर्गत करने के महत्व समय की महिमा सफलता का रहस्य जीवन संग्राम संयम अनुशासन ईश्वर की महत्ता विवेकानंद के माध्यम से आत्मविश्वास मात्र धार्मिक जागरूकता एवं मानवता की श्रेष्ठता आहार के संतुलन पर बल समय का सदुपयोग बारिश का आनंद शिक्षक का महत्व आध्यात्मिक जैसे अनेक उपयोगी और लोक हितकारी विषयों का उल्लेख किया गया है रचनाओं के अंत में उन्होंने छात्र उपयोगी उद्गम में वस्तुनिष्ठ प्रश्नावली का समावेश भी किया गया है संक्षेप में कहा जाता है कि कवि राम भजन पटेल ने अपनी पूर्व की रचनाओं से आगे इस रचना में एक नए उत्कर्ष की साधना सफल बनाई है
यह वास्तव में एक विकासशील रचनाकार की सतत प्रयत्नशील ता का परिचायक है निश्चय ही इस ग्रंथ से अध्यता जगत लाभान्वित होगा साथ ही आलोचक वर्ग का भी इसे अच्छा प्रतिसाद अवश्य मिलेगा ऐसी आशा है यह आ जाए इस रचना के लिए यशस्वी रचना का राम भजन पटेल को हार्दिक बधाई एवं आगामी रचना के लिए मंगल कामना ,मिनकेतन प्रधान विभागाध्यक्ष हिंदी बिभाग किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़
विशेष बात ये है कि इनकी रचना आगू बढ़ और छत्तीसगढ़ मैया के अंचरा छत्तीसगढ़ी भाषा की अनुपम कृति है जो छत्तीसगढ़ राज्य की भाषा विकास में अमूल्य छाप छोड़ सकती है।
अखिल भारतीय अघरिया समाज केंद्रीय अध्यक्ष भुवनेश्वर पटेल ने राम भजन पटेल को समाज की ओर से बधाई दिए और कहे कि इनके लिखे पुस्तक समाज ही नहीं छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ीओं का पथ प्रदर्शक होगा ऐसी आशा और विश्वास है हमें…
इच्छुक व्यक्ति पुस्तक विजय बुक डिपो रायगढ़ से प्राप्त सकते हैं।