एसपी पल्लव के फरमान के बाद हरकत में आए थानेदार

क्षेत्र के गुण्डा-निगरानी बदमाशों को थाना तलब कर खींच रहे है उनकी फोटो
छत्तीसगढ़ राज्य बने आज 22 वर्ष हो गए लेकिन पुलिस के रिकार्ड में अब तक क्यों नए गुण्डे और निगरानी बदमाश शामिल नही हो पाए है और पुलिस रिकार्ड में नही जुड़ पाए? चूंकि पहले के अपराधिया का अपराध करने का और वर्तमान में आज के दौर के अपराधियों में अपराध करने का तरीका इन 22 वर्षों में बहुत बदल चुका है आज पुलिस से ज्यादा अपराधी अपराध को अंजाम देकर पुलिस को चमका देने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। आज पुलिस सोशल मिडिया एवं सायबर के सहारे अपराधियों को पकडऩे में अपनी पीठ थपथपाने में कोई भी कसर नही छोड़ रही है, मुखबिर तंत्र का जो सहारा है वो अब फेल होते नजर आ रहा है। पुलिस की जानकार सूत्रों की माने तो मुखबिरी करने वाले पुलिस मित्रों को जो भत्ता मिलता है वह भी न के बराबर है इसलिए अब पुलिस के लिए कोई भी मुखबिरी करने से पुलिस मित्र अब जी चुराने लगे है।
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों केा चाहिए कि वे अपराध करने वाले चाहे बाल अपराधी हो या फिर बड़े जघन्य अपराधियों में शामिल की कुण्डली की फाईल जल्द से जल्द खोले और पुराने क्षेत्र के बदमाश है जो अब काफी हद तक सुधर चुके है उन्हें माफी देने के लिए एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजे ताकि जो उनका नाम निगराानी एवं गुण्डा लिस्ट में वह हट सके। और क्षेत्र में छोटे और बड़े अपराधी घटना को अंजाम दे रहे है उन पर शिकंजा कस कर उनका नाम गुण्डा एवं निगरानी शुदा की सूची में शामिल कर पुलिस अपनी कार्यवाही तेज करे।




