बिलासपुर – सरगुजा स्थित परसा कोल ब्लॉक के लिए जमीन अधिग्रहित करने वाले याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत दी है। सोमवार को चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस एनके चन्द्रवंशी की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान परसा कोल ब्लॉक भूमि अधिग्रहण पर केन्द्र और राज्य सरकार को मामले की अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं की भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
परसा कोल खदान प्रभावित मंगल साय, ठाकुर राम, मोतीराम, आनंद राम, पानिक राम एवं अन्य ने अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव व संदीप दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि कोल आधारित क्षेत्र एवं विकास अधिनियम 1957 का उपयोग किसी राज्य की सरकारी कंपनी और विशेष कर निजी कंपनी के हित में नहीं किया जा सकता।
1957 से 2017 तक 60 वर्ष इस अधिनियम का उपयोग कर किसी राज्य सरकार और निजी कंपनी के हित में जमीन अधिग्रहण नहीं किया गया है। यह अधिनियम सिर्फ केंद्र सरकार की कंपनियों कोल इंडिया जैसी कंपनियों के उपयोग के लिए लागू होता है। याचिका में कहा गया है कि राजस्थान सरकार विद्युत निगम की ओर से खदान खनन काम अदानी कंपनी को दिया गया है, जो गलत है।
प्रभावित आदिवासियों की याचिका में बताया गया है कि राजस्थान विद्युत मण्डल के कोल ब्लॉक में खनन कार्य अडानी कम्पनी करेंगी। इस कारण कोल इडिया जैसी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती।
मामले में केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी रमाकांत मिश्रा , राज्य सरकार की ओर से डिप्टी एजी सुदीप अग्रवाल और राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम एवं अडानी कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला और अधिवक्ता शैलेंद्र शुक्ला तथा अर्जित तिवारी बहस कर रहे हैं।