खरसियाछत्तीसगढ़रायगढ़विविध खबरें

दर्द भरी शाम हो या सुख का सबेरा हो सब कूछ क़बूल है अगर साथ तेरा हो…स्मृतियों के झरोखे शहीद नन्द कुमार पटेल

समाज में विरले ही ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनके व्यक्तित्व और कृतित्व से अपने और पराए, समर्थक और विरोधी स्व जाति व अन्य जाति, सभी वर्ग के लोग प्रभावित होते हैं जिनके साथ और सानिध्य को अपनी यादगार पल के रूप में सहेज कर रखने की लालसा होती है ऐसे ही प्रभावशाली, आकर्षक व्यक्तित्व और राजनीतिक प्रतिभा संपन्न व्यक्तियों में खरसिया के विधायक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रहे शहीद नंदकुमार पटेल का नाम निर्विवाद रूप से स्थापित हुए। इनके विराट व्यक्तित्व को किसी क्षेत्र और वर्ग विशेष में समेटना उनके कार्यक्षेत्र और विस्तृत जनाधार के साथ अन्याय होगा फिर भी शहीद नंदकुमार पटेल के जीवन वृत्त, कार्यशैली और व्यक्तित्व कृतित्व को संक्षिप्त में प्रस्तुत करते हुए उनके संबंध में कुछ जानने की लालसा में जिज्ञासु पाठकों को संतृप्त करने में हम कुछ शब्दों के साथ इस उम्मीद के साथ नंदकुमार पटेल के जयंती अवसर पर जीवन के विषम परिस्थियों शुरुवाती दिनों के क ख शब्दो से समाज के आईना निष्पक्षता के साथ विधी और कलम के ज्ञान सफर में शहीद नंदकुमार पटेल के जीवन वृत्त का संक्षिप्त चित्रण करते हुुुए…

Advertisement
Advertisement
Advertisement

जन्म प्रारंभिक शिक्षा गांव की माटी से जुड़ाव

रायगढ़ जिले के ग्राम नंदेली के मालगुजार स्व. महेंद्र सिंह पटेल एवं स्व. श्रीमती इंदुमती पटेल के आंगन में 08 नवंबर 1953 को द्वितीय पुत्र रत्न के रूप में जन्मे नंदकुमार पटेल, बड़े भाई राधा चरण पटेल से उम्र में काफी अन्तर रहने के कारण भाई से भी पिता के तुल्य स्नेह दुलार आर्शीवाद मिला, बचपन गिल्ली डंडा से खेल कूद कर, गांव की गलियों और खेत खलिहानों, खुले मैदान,में बिताते हुए गांव में बोधन पटेल के नाम से परिचित नंदू की प्रारंभिक शिक्षा ग्राम के ही प्राथमिक विद्यालय में पूर्ण हुई तत्पश्चात इन्होंने माध्यमिक कक्षा के साथ आगे की पढ़ाई स्व अध्ययन एवं व्यवहारिक जीवन के अनुभवों से पूर्ण किया।

राजनीति व समाजसेवा के साथ नेतृत्व क्षमता, सांगठनिक दक्षता की दिशा में आपका बचपन से ही विशेष रुझान रहा।

पारिवारिक बगिया के रहे कुशल बागवान

अपने परिवार को विस्तृत करने का सूत्रपात करते हुए 06 फरवरी 1972 को समीपस्थ ग्राम बोकरामुड़ा के नीलावती पटेल को जीवनसाथी के रूप में वरण कर दांपत्य जीवन में प्रवेश किए जहां परिवार की बगिया को महकाने जेष्ठ पुत्र दिनेश पटेल सहित दो पुत्री सरोजिनी,शशिकला एवं छोटे पुत्र उमेश से परिवार की बगिया महकी। आप राजनीतिक क्षेत्र में अत्यधिक व्यस्थता के बावजूद अपने पारिवारिक सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने में कभी पीछे न रहे…

सार्वजनिक राजनीतिक क्षेत्र में हुआ पदार्पण

अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत 1979 में जनपद पंचायत रायगढ़ के सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर करने वाले नंदकुमार पटेल1983 में अपने ग्राम पंचायत के निर्विरोध सरपंच चुन लिए गए और सरपंची की इसी राजनीतिक यात्रा के प्रथम पड़ाव ने इनके सार्वजनिक जीवन के लिए इतनी मजबूत नींव का काम किया कि बड़े-बड़े राजनीतिक तूफान आंधी थपेड़ों ने नंदकुमार पटेल को जरा भी विचलित और अस्थिर करने का साहस नहीं कर पाया । सरपंच के रूप में इनके उत्कृष्ट कार्यों की पूरे प्रदेश में सराहना हुई और निर्माण व विकास कार्यों के लिए तात्कालीन राज्यपाल सुश्री सरला ग्रेवाल के हाथों सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत के रूप में नंदेली के युवा सरपंच नंदकुमार सम्मानित हुए अपने कार्यक्षेत्र को ग्राम पंचायत से ऊपर ले जाकर श्री पटेल ने राजनीतिक क्षेत्र में अहम संगठन के महत्वपूर्ण दायित्वों को निभाया जिसमें 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के सदस्य, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी रायगढ़ के कोषाध्यक्ष जैसे अहम जिम्मेदारियों को कुशलता पूर्वक निर्वहन किया ।

राजनैतिक चातुर्य के प्रदर्शन का अवसर

जून 1988 में खरसिया विधानसभा के उपचुनाव में तात्कालीन मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुनसिंह के चुनावी समर में भाजपा के तेजतर्रार दिलीप सिंह जूदेव आमने-सामने और खरसिया की सीट से मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह चुनाव मैदान में उतरे थे वह उनके लिए चक्रव्यूह सिद्ध हो रहा था इस विकट और विषम स्थिति में खरसिया विधानसभा उपचुनाव के महासंग्राम में नंदकुमार पटेल की सक्रियता, समर्पण लोकप्रियता और जुझारू क्षमता को राजनीति के चतुर सुजान अर्जुनसिंह ने प्रत्यक्ष अनुभव किया और यह आंकलन भी कर लिया कि नंदकुमार पटेल के कारण ही उनका गांडीव चमक उठा…

खरसिया विधान सभा क्षेत्र से बने अजेय योद्धा

1990 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राजनीति के चाणक्य अर्जुनसिंह ने नंदकुमार पटेल को खरसिया विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट देकर उनके राजनीतिक कौशल को प्रदर्शित करने का एक अवसर दिया जिसमें नंदकुमार पटेल ने प्रदेश में बहती राजनीतिक बयार के विपरीत खरसिया में जीत का परचम लहरा किसान बेटा प्रथम बार विधायक बनने का गौरव हासिल करते हुुए नंदेली के माटी की श्रेष्ठता को सिद्ध किया। इस चुनाव में तब के नया प्रत्याशी, राजनीति के नौसीखिए, साधन सुविधाओं के अभाव से जुझते, नंदकुमार पटेल ने अपने सम्मुख खड़े भाजपा के पितृ पुरुष, अकूत धन सम्पदा के महाबली स्व.लखीराम अग्रवाल को राजनैतिक रुप से धराशाई कर एक कीर्तिमान किसान पुत्रों के मसीहा गढ़ लिए … मध्य प्रदेश में भाजपा दो तिहाई बहुमत से जीती थी उनकी सरकार बनी भाजपा के साधारण किसान परिवार का प्रत्याशी चुनाव जीत गए परंतु राजनीति भीमकाय वरिष्ठ नेता लख्खी सेठ को नंदेली का नंदू ने पटकनी दे दिया । इसके पश्चात 1993, 1998, 2003, 2008 के चुनाव में लगातार विधानसभा खरसिया से बढ़ते अंतराल के साथ चुनावी समर में फतह हासिल कर अजय योद्धा के रूप में अपनी पहचान बनाई। छत्तीसगढ़ की विधानसभा में अपनी दमदार और प्रखर उपस्थिति के साथ अपनी विधानसभा क्षेत्र की एक छोर से दूसरे छोर तक जन-जन से मधुर संबंध एवं पारिवारिक रिश्ता बना कर प्रकृति के गोद में बसा सिर मौर बरगढ़ खोला के लोगों में अपनी मजबूत पकड़ को प्रतिष्ठित करने में नंदकुमार पटेल की स्थापित की गई भूमिका को आज उनके सुपुत्र और प्रदेश के केबिनेट मंत्री उमेश पटेल बखूबी पुत्र धर्म के साथ… क्रुर्र षड्यन्त्र ने खेलने खाने बख्त में नियत किया विषम परिस्थितियों के उपरांत भी उमेश पटेल ने खरसिया विधान सभा परिवार का मुखिया की जिम्मेदारी को निर्वहन कर रहे हैं…

मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल और प्रभार का दायित्व

1995 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आपकी क्षमता का सम्मान करते हुए अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया जिसमें जनवरी 1996 में आप जल संसाधन राज्यमंत्री बने और आगे चलकर गृहमंत्री का कैबिनेट दायित्व आपको दिया गया। अपने बेदाग छवि तथा प्रभावी व्यक्तित्व, कुशल एवं कर्मठ राजनीति के रूप में पूरे मध्यप्रदेश में आपकी पहचान बनी। इस दौरान आप मुरैना, छतरपुर, बिलासपुर, इत्यादि जिलों के प्रभारी मंत्री के रूप में कुशलता पूर्वक दायित्व का निर्वहन कर काफी लोकप्रियता अर्जित की।

नए राज्य में प्रथम गृहमंत्री से राजनीतिक सफर की शुरुवात…

नवंबर 2000 से नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य में अजीत जोगी के नेतृत्व में गठित प्रदेश मंत्रिमंडल में गृह जेल विमानन एवं परिवहन विभाग का मंत्रालय शहीद नंद कुमार पटेल को मिला । 2003 तक आपने छत्तीसगढ़ के प्रथम गृहमंत्री का दायित्व अत्यंत सफलतम रूप से निर्विवाद एवं कुशलता पूर्वक निभाया। आपकी राजनीतिक दक्षता कोसम्मान करते हुए विभिन्न राजनीतिक समितियों व संगठनों की भी जिम्मेदारी दी गई आप जांजगीर-चांपा,कोरबा, रायगढ़ बिलासपुर,रायपुर जिले के प्रभारी मंत्री के रूप में भी कार्य किया, 04 दिसंबर 2003 को छत्तीसगढ़ के प्रथम विधानसभा चुनाव में चौथी बार खरसिया से भारी मतों के अंतराल से जीत कर शहीद नंदकुमार पटेल विधान सभा में पहुंचे जहां आपको विपक्ष के विधायक होते हुए भी विधानसभा विशेषाधिकार समिति, पुस्तकालय समिति, कार्यमंत्रणा समिति, प्राक्कलन समिति इत्यादि के सदस्य के रूप में चुना गया जिसमे अपने दायित्व का कुशलता पूर्वक निर्वहन किया ।
राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में भी मिला दायित्व

अक्टूबर 2005 में आपको अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नई दिल्ली में प्रतिनिधि बनाया गया तथा अक्टूबर 2006 से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य के रूप में आपने अपनी भूमिका निभाई। इसी दौरान आप कांग्रेस राष्ट्रीय नेतृत्व के करीब आते हुए अपनी संगठन क्षमता के प्रति विश्वास अर्जित करने में सफलता हासिल की जो कालांतर में आपके प्रदेश अध्यक्ष के रूप दायित्व निर्वाह की अहम भूमिका में तब्दील हुई। तत्कालीन कांग्रेस के चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने युवा तुर्क एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी के परामर्श से गांव की गलियों से चलकर अपनी राजनीतिक दक्षता को सामाजिक सेवा के रूप में स्थापित कर दिखाने वाले कुशल संगठक नंदकुमार की काबिलियत को पहचान कर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी।

विश्वास पर खरा उतरने के साथ कांग्रेस में फूंका प्राण

वर्ष 2011 अप्रैल माह में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के लिए नयी करवट बदलने का समय था । कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा लिए गए ऐतिहासिक एवं अहम फैसले से छत्तीसगढ़ के राजनीति में असहाय हो चुके कांग्रेस संगठन के हताशा एवं निराश कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने उनके भीतर नई ऊर्जा का संचार करने में तथा प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा के सामने एक बुलंद विपक्ष की भूमिका निभाते हुए शहीद नंदकुमार पटेल ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान सम्हालते ही कांग्रेसियों में प्राणवायु फूंकने का काम किया अपने राजनीतिक सूझबूझ से बिखरे कांग्रेसियों को एक सूत्र में पिरोने में सफलता पाई फिर शुरू किया प्रदेश के अंतिम छोर में बसे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं तक पहुंचने का अभियान जिसमें प्रदेश के दक्षिण छोर में बसे बस्तर के धुर नक्सली क्षेत्र हो या उत्तर के अंबिकापुर अंचल के बलरामपुर जिला में चांदो थाना अंतर्गत नक्सली मुठभेड़ में पुलिसिया अनाचार का शिकार होकर मारी गई करचा गांव की मीना खलखो का घर हो जहां पहुंच कर परिजनों को ढांढस बंधाते हुए न्याय दिलाने की बात पर प्रदेश अध्यक्ष के रूप में शहीद नंदकुमार की भूमिका इतिहास में अंकित हो गई।

सत्ता के सिंघासन तक पहुंचने का बनाया मार्ग

शहीद नंदकुमार पटेल के तीखे तेवर, आक्रामक रवैया अथक परिश्रम अनवरत कार्यक्रम कार्यकर्ताओं तक पहुंचने की अनोखी कार्यशैली राजनैतिक नवाचार ने छत्तीसगढ़ प्रदेश के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में जैसे प्राणवायु संचारित करने का काम किया उन्होंने छत्तीसगढ़ के न्याधानी,संस्कारधानी, संगीतधानी, राजधानी प्रमुख नगर बिलासपुर, अंबिकापुर, राजधानी रायपुर, बस्तर के दिग्गज नेताओं को जोड़कर एक तरफ पार्टी के बीच एकता का बीज बोया तो दूसरी ओर कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रति समर्पण एवं अनुशासन का पाठ सोनिया शक्ति केन्द्रों के माध्यम से पढ़ाया। नेता का कार्य और व्यवहार कार्यकर्ताओं पर असर डालता है इस व्यावहारिक नीति को आत्मसात कर श्री पटेल ने वह कर दिखाया जिसकी आशा व अपेक्षा लंबे अरसे से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को थी पटेल ने 07 वर्षों से लंबित कार्यकारिणी को नए स्वरूप में स्थापित कर सभी आला नेताओं को एक मंच पर जोड़ा वहीं दूसरी ओर कार्यकर्ताओं के स्वाभिमान को जागृत करने में काफी हद तक सफलता पाई इसके लिए वह संगठन की शक्ति को एहसास करते हुए सत्तारूढ़ दल की कमजोरियों तथा नाकामियों को सड़क पर लाकर आम जनता को कांग्रेस के साथ जोड़ने के अभियान में सफल रहे और कांग्रेस की स्थापित परंपरा के अनुरूप खुद को आम आदमी के साथ खड़ा करके सशक्त विपक्ष की भूमिका में सरकार की दमनकारी व मनमानी नीतियों का विरोध और भ्रष्टाचार का खुलासा करने में अब्बल रहे, प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का शंखनाद करते हुए छत्तीसगढ़ के एक छोर से दूसरे छोर तक परिवर्तन यात्रा आगाज किया और इसी परिवर्तन यात्रा ने उन्हें अपने जीवन की अंतिम यात्रा के रूप में शहादत के मार्ग की ओर ले जाकर नियति ने 25 मई 2013 के ढ़लती शाम में अप्रत्याशित नक्सली हमला, क्रुर षड्यंत्र में अपने जेष्ठ पुत्र दिनेश पटेल प्रदेश के नेता सुरक्षा कर्मीयो के साथ शहीद हो गए…

आज प्रदेश में कांग्रेस के सत्तासीन होने के पीछे शहीद नंदकुमार पटेल के संघर्ष की नींव ने ही ईमारत को खड़ा किया है कहें तो यह अतिसंयुक्ति न होगा
खूबियां जो नंदकुमार के व्यवहार में थे शामिल

नंदकुमार पटेल जैसे व्यक्तित्व और कृतित्व विरले ही होते हैं । जीवन में सादगी, सरलता, समय के पाबंद ,प्रत्येक व्यक्ति के दिल में सहज ही लोकप्रियता को स्थापित कर लेने वाले नंदकुमार पटेल ईश्वर और अध्यात्म को पूरी तरह स्वीकार करते थे विषम परिस्थितियों में साथ देने वाले अपने साथियों को कभी नहीं भूलने वाले नंदकुमार पटेल का काम के प्रति निष्ठा व समर्पण भाव सबसे मुखर व गतिमान लोकप्रिय नेता के रूप में उन्हें सड़क से लेकर सदन तक प्रदेश के दलित-शोषित, उपेक्षित, निर्धन, अनुसूचित जाति व जनजाति, पीड़ित वर्ग के हक व सम्मान की सुरक्षा के लिए संघर्ष करने वाले जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया था । अपने पारिवारिक जिम्मेदारी को कुशलता पूर्वक निर्वहन करने के साथ-साथ आम आदमी के सुख-दुख नफा-नुकसान, वाद-विवाद में परिवार के एक मुखिया की तरह समझाइस देते गांव में हरसंभव एकता बनाए रखने का प्रयास, नंदकुमार पटेल की दिनचर्या में जुड़े हुए कार्य थे । समाचार पत्र व मीडिया से सतत संपर्क में रहकर अपने क्षेत्र प्रदेश व देश की हलचलों से वाकिफ़ रहने के आदी नंदू मामाश्री ना केवल युवा कार्यकर्ताओं बल्कि वरिष्ठ, बुजुर्ग बुद्धिजीवी साधु-संत, कलाकार कामगार अधिकारी-कर्मचारी, किसान-मजदूर, व्यापारी सबके बीच लाडले रहे और सब की चाहत रही की नंद कुमार पटेल की प्रतिभा संगठन क्षमता विकास की सोच तथा “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की निर्मल भावना सुखी समृद्ध संपन्न राज्य की परिकल्पना को साकार रूप लेने की उम्मीद बनी हुई थी।

नंदकुमार पटेल हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत थे – निराकार पटेल

रायगढ़ जिला पंचायत के अध्यक्ष एवं शहीद नंद कुमार पटेल के साथ सरपंची कर चुके निराकार पटेल ने कहा कि नंद कुमार पटेल हम सबके लिए एक प्रेरणा थे उनका प्रत्येक कार्य जनहित से जुड़ा हुआ तथा गांव गरीब और किसानों के कल्याण को समर्पित होता था ।

गांव के माटी की महक को पहुंचाया विदेशों तक

ग्राम नंदेली की माटी के महक को शहीद नंदकुमार पटेल ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर तक महकाने के पश्चात विभिन्न अवसरों पर कई देशों की यात्रा भी किया जिसमें आस्ट्रेलिया, थाईलैंड, न्यूजीलैंड, नेपाल, ईरान, श्रीलंका, सिंगापुर तथा संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं। नंदकुमार पटेल ने अपनी अद्भुत प्रतिभा, कुशल क्षमता और प्रभावी व्यक्तित्व की छाप हर जगह छोड़ी।

नंदकुमार राजनीतिज्ञों के लिए मापदंड थे – सुभाष त्रिपाठी

पत्रकार सुभाष त्रिपाठी ने अपना अनुभव सुनाते हुए नंदकुमार पटेल जैसे लोगों का होना वर्तमान राजनीतिज्ञों के लिए एक आदर्श और नई दिशा देने वाला अवसर बताया गया सुभाष त्रिपाठी ने कहा आज अगर वह होते तो निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री होते इस बात को हम उनसे चर्चा करते हुए भी बताया करते थे। संयोग से मेरे पिताश्री किशोरी मोहन त्रिपाठी जी का भी जन्म दिवस 08 नवंबर ही है जिसे मैंने नंद कुमार पटेल जी को बताया था तो वह अत्यंत हर्षित हो गए थे ।

प्रकृति की क्रूर नियती और वह काला दिन

25 मई 2013 का वह काला दिन नंदकुमार पटेल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सहित उनके सुपुत्र युवानेता योजनाओं के कुशल रणनीतिकार भैया दिनेश पटेल नक्सली हमले में हम सबसे जुदा हो गए।काल के क्रूर नियति ने एक सुयोग्य,लोकप्रिय,विकास के लिए समर्पित राजनीति में सर्वगुण संपन्न व्यक्तित्व को हमसे असमय छीन लिया । शहीद नंदकुमार पटेल की जन्म जयंती पर हम उन्हें स्मरण करते हुए उनके पद चिन्हों पर चल रहे उमेश पटेल के हाथों को मजबूर करते हुए बेहतरी को आत्मसात करने का संकल्प लें…

दर्द भरी शाम हो या सुख का सबेरा हो
सब कूछ क़बूल है अगर साथ तेरा हो…

विनम्र शब्दांजलि,श्रद्धांजलि …

Advertisement
Advertisement
Show More

Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!