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लोकसभा चुनावों को लेकर जैसे-जैसे सियासी पारा चढ़ रहा है, मतदान के दौरान मौसम का पारा चढ़ने की आशंका को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है…


लोकसभा चुनावों को लेकर जैसे-जैसे सियासी पारा चढ़ रहा है, मतदान के दौरान मौसम का पारा चढऩे की आशंका को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। देश के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चुनाव के समय मौसम प्रतिकूल रहा तो वोट देने के लिए लोग घरों से कम निकलेंगे। ज्यादा गर्मी से मतदान प्रतिशत पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। दूसरी तरफ शोधकर्ताओं का दावा है कि तेज गर्मी से मतदान बढ़ सकता है। ब्रिटेन की केंट यूनिवर्सिटी के अमृत अमिरापू, इरमा क्लॉट्स-फिगरस और लंदन यूनिवर्सिटी के जॉन पब्लो रुड ने जलवायु परिवर्तन के साथ भारत में मतदान में हिस्सेदारी पर शोध किया। इसके मुताबिक अगर चुनावों से पहले औसत तापमान सामान्य से एक डिग्री ज्यादा रहता है तो मतदान प्रतिशत 1.5 फीसदी ज्यादा रह सकता है।

ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने 2008 से 2017 के दौरान भारत में हुए विधानसभा चुनावों के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर कहा कि जब तापमान सकारात्मक रेंज में होता है तो कृषि उत्पादन बढ़ जाता है और मतदान प्रतिशत घट जाता है। इसका कारण यह है कि ज्यादातर किसान खेती में व्यस्त रहने के कारण मतदान करने नहीं पहुंचते। इससे उलट जब तेज गर्मी से कृषि उत्पादन घटता है तो मतदान प्रतिशत बढ़ जाता है। भारत में 1991 से पहले आम चुनाव हमेशा गर्मी में नहीं हुए। चुनाव आयोग आम तौर पर सर्दियों के मौसम में चुनाव कराता था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 2004 में जब लोकसभा समय से पहले भंग की गई थी, तभी से लोकसभा चुनाव गर्मियों में होने लगे।

मतदान से पहले लोग परेशान हुए तो दलों के लिए संकट

देश के विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव के समय ज्यादा गर्मी लोगों को घरों में कैद कर सकती है। ऐसे में मतदान प्रतिशत पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। रांची के भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि एक दिन पहले व्यक्ति की जो मानसिकता रहती है, तेज गर्मी से मतदान के दिन बदल सकती है। मतदान से पहले किसी परेशानी की वजह से अगर व्यक्ति झल्लाया हुआ है या गुस्से में है तो संभव है कि उसका वोट किसी और राजनीतिक दल के पाले में चला जाए। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी बिजली, पानी और लू को लेकर होती है। परेशानियों की वजह से लोगों की मानसिकता कुछ समय के लिए बदलना आम बात है। ऐसे में मतदान के दिन जल संकट,बिजली संकट समेत अन्य परेशानियां राजनीतिक दलों के लिए भी संकट बन सकती हैं।

लोकसभा चुनावों में कब कितना रहा तापमान
साल मतदान की शुरुआत मतदान संपन्न औसत तापमान अधिकतम तापमान मतदान
1952 2 जनवरी 25 जनवरी 19 24 45.7 प्रतिशत
1957 24 फरवरी 15 मार्च 21 26 47.7 प्रतिशत
1962 19 फरवरी 25 फरवरी 20 26 55.4 प्रतिशत
1967 15 फरवरी 28 फरवरी 21 27 61 प्रतिशत
1971 1 मार्च 10 मार्च 23 30 55.3 प्रतिशत
1977 16 मार्च 20 मार्च 24 31 60.5 प्रतिशत
1980 3 जनवरी 6 जनवरी 19 24 56.9 प्रतिशत
1984 24 दिसंबर 28 दिसंबर 19 25 64 प्रतिशत
1989 22 नवंबर 26 नवंबर 22 28 62 प्रतिशत
1991 20 मई 5 जून 28 33 55.9 प्रतिशत
1996 27 अप्रेल 7 मई 28 33 57.9 प्रतिशत
1998 16 फरवरी 28 फरवरी 21 26 62 प्रतिशत
1999 5 सितंबर 3 अक्टूबर 26 31 60 प्रतिशत
2004 20 अप्रेल 10 मई 28 33 58.1 प्रतिशत
2009 16 अप्रेल 13 मई 28 34 58.2 प्रतिशत
2014 7 अप्रेल 12 मई 28 33 66.4 प्रतिशत
2019 11 अप्रेल 19 मई 30 35 67.4 प्रतिशत

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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