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पूर्व नौकरशाहों और सैन्य अफसरों की मांग: महबूबा ने  राष्ट्रीय ध्वज का किया अपमान, तीन साल की हो जेल

देश के पूर्व नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों, सैन्य अफसरों और हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के एक समूह ने बयान जारी कर अनुच्छेद 370 की वापसी से संबंधित गुपकार घोषणापत्र की जमकर निंदा की है। बयान में मांग की गई है कि गुपकार के नेताओं विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है। इसके लिए तय कानूनों के तहत मुफ्ती को तीन साल तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों सजाएं साथ हो सकती हैं।

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लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी समेत 267 से ज्यादा पूर्व अधिकारियों के समूह के दस्तखत वाले इस बयान में कहा गया है कि मुफ्ती ने राष्ट्रवादी और कानूनी स्वामित्व की सभी सीमाओं को पार कर लिया है। मुफ्ती का कहना है कि जब तक कि कश्मीर का झंडा नहीं फहराया जाता, तब तक वह कश्मीर में भारत का राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराएंगी।
उनके इस बयान से राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता का सबसे पवित्र प्रतीक है। राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के तहत अगर कोई भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज या भारत के संविधान या उसके किसी भी भाग का शब्दों, लिखित, मौखिक या फिर कृत्यों द्वारा अपमान करता है, या अवमानना दर्शाता है तो उसे दंडित किया जा सकता है। यह सजा तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों के साथ हो सकती है।

कुछ लोग उन देशों की भाषा बोलते हैं, जो भारत से दुश्मनी रखते हैं
बयान में कहा गया है कि हम सेवानिवृत्त अखिल भारतीय सिविल सेवा और पुलिस अधिकारियों, सेना, वायु सेना और नौसेना के दिग्गजों, शिक्षाविदों, पेशेवरों और अन्य लोगों के भारत के चिंतित नागरिकों का एक समूह हैं, जो बिना किसी राजनीतिक या पक्षपातपूर्ण एजेंडे के साथ हैं। कुछ लोग निहित स्वार्थों के चलते लगातार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने, हमारे देश और उसके संविधान के बारे में गलत बात कहने और अलगाववाद को बढ़ावा देने की कोशिश करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करते समय वे उन देशों की भाषा बोलते हैं जो भारत से दुश्मनी रखते हैं और वह उनसे सहयोग लेने में संकोच नहीं करेंगे।

फारूक और महबूबा के खिलाफ दर्ज हो देशद्रोह का मामला
इस समूह ने गठबंधन के एक अन्य सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की भी आलोचना की है। बयान में अब्दुल्ला के बयान का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 को चीन की मदद से बहाल किया जाएगा। इस बयान के चलते फारूक और मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के तहत हिरासत में लिए जाने की जरूरत है। समूह ने आईपीसी की धारा 124 ए के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज करने की भी मांग की है। इस धारा के तहत कोई व्यक्ति जब देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने की कोशिश करता है या फिर सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या इसका समर्थन करता है और राष्ट्रीय चिह्न और संविधान के अपमान की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इस कानून का दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को कम से कम तीन साल की सजा और अधिकतम उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।

गुपकार गैंग भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा
बयान के मुताबिक, गुपकार गैंग भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा है। इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए कि पाकिस्तान के नेताओं ने बयान जारी कर गुपकार गैंग का समर्थन किया है। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की अगुवाई वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने अनुच्छेद 370 की बहाली और कश्मीर मसले के समाधान के लिए 15 अक्तूबर को  गठबंधन की घोषणा की थी।

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