केलो कपूत शिव राजपूत की चिट्ठी केलो के नाम
कलेक्टर भीम सिंह के 100 दिन….
आंकड़ों की बैसाखी पर दौड़ती उपलब्धियां…
@शिव राजपूत के ✍ से….
केलो आई चारों तरफ फैले त्राहिमाम-त्राहिमाम के माहौल में नामालूम कोविड की दवा के मानिंद मरहम के ट्यूब कि तरह कलेक्टर भीम सिंह की रायगढ़ में आमद हुयी बद से बदतर हालात में जिले का कार्यभार संभाला ऐसे में उनके प्रयासों कोशिशों का मूल्यांकन होना चाहिये ना कि, आंकड़ों की बैसाखी पर दौड़ते उपलब्धियों का।
केलो आई शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन एवं विकास कार्यों के पैरों पर बेड़ियां बंधी हैं जिले का सारा आर्थिक ताना-बाना बिखरा पड़ा है बेरोजगारी बेलगाम बढ़ा है लॉकडाउन से सहमें सड़कों पर महंगाई फर्राटे से आगे बढ़ रही है किसान, मजदूर, व्यापारी रोज कमाने खाने वाले लोगों का हाल तो मतई पूछ घूसखोर विभागों के सरकारी कर्मचारियों का हाल भी बुरा है उन्हें उपर की कमाई बंद हालत में काम भी ज्यादा करना पड़ रहा है बेबसी के इस दौर से कैसे उबरें सबके समझ से बाहर है सहज जनजीवन का पहिया जाम हो गया है।
शायद पुराने जमाने में ऐसी परिस्थितियों के दौरान राजा-महाराजा खजाने का मुह खोल देते थे, शहिद वीर नारायण सिंह जैसे लोग सरकारी गोदाम से अनाज लुटवा देते थे,
ऐ मेरी प्यारी केलो आई आज तेरे जिले का प्रशासनिक अमला जिसे गलत भी नहीं कहा जा सकता कोविड19 का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाहीयां करने में मशगूल हैं, सरकारी शैक्षणिक व्यवस्था ऑनलाइन शिक्षा के सहारे हैं निजी शिक्षा की दुकानें बंद हैं प्राईवेट शिक्षक अपने घर के सामानों का खरिददार ढूंढ रहे हैं, जिले के सभी नगर पालिका नगर पंचायत आदि के रफ्तार पर ब्रेक लगा है हमाल से लेकर ट्रांसपोर्टर तक परिवहन से जुड़े सभी लोग परेशान हैं छोटे-बड़े उद्योग धंधे बंद हो गये हैं या बंद होने के कगार पर हैं ऐसे समय में कलेक्टर भीम सिंह के 100 दिन के कार्यकाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कैसे करें, इतने बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाया एक सौ कोविड बैड कि संख्या बढ़ाकर तेरह सौ कर दी चार सौ मजदूरों को स्थानीय उद्योगों में रोजगार दिला दिया कुछ लोगों को प्राकृतिक आपदा संबंधी मुआवजा दिलवा दिया, इरादों को ताक पर रखकर कलेक्टर के 100 दिन के कार्यकाल का क्या यही मूल्यांकन हो सकता है,
अभी तो आपदा से थर्राई धरती पर पैर जमाने सौ दिन लग गये, केलो आई आगे बहुत लम्बा रास्ता है और कम समय में ज्यादा दूरी तय करनी है….
क्योंकि….
कहते हैं पहाड़ को पांव नहीं इरादे चढ़ते हैं