ठगे जा रहे वनोपज संग्राहक, बिचौलिए उठा रहे लाभ
बरगढ़ खोला का मौसमी वनोपज जामुन के संग्रह में जुटे हैं खोला ग्रामीण
मौसमी वनोपज का समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं होने से ग्रामीण संग्राहक ठगे जा रहे हैं। बिचौलिए ग्रामीणों की अज्ञानता का लाभ उठाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। स्थिति यह है कि बिचौलिए ग्रामीण संग्राहकों से महज 12-15 रुपये प्रतिकिलो की दर से जामुन लेते है और महानगरों में 200 रुपये से अधिक प्रतिकिलो तक विक्रय करते हैं।
खरसिया क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य बरगढ़, खोला, गोरपार,बर्रा,गाड़ापाली,जोबी, छाल से भारी मात्रा में जामुन का उत्पादन होता है। भोले-भाले आदिवासियों के लिए कोरोना लाॅकडाउन में आर्थिक रूप से बड़ा सहायक होता है। ज्यादातर ग्रामीण जामुन तोड़कर विक्री करने के लिए खरसिया सक्ती आते हैं। इस वर्ष कोरोना के कारण या प्राकृतिक आपदा, मौसम के बेरुख़ी की वजह से पेड़ो पर फल कम आएं है बिचौलिए रेल गाड़ीयो से बाहर भेजते वह भी रुक सा गया है। यहां बिचौलिए करीब 12-15 प्रतिकिलो की दर से क्रय करते हैं। खरसिया सक्ती बाजार में इन दिनों कोलकाता, दिल्ली नागपुर, ओडिशा के बिचौलिए डटे हैं जो औने पौने दाम पर ग्रामीण संग्राहकों से जामुन खरीदकर उन्हें ठगते हैं । जबकि 12 से 15 रुपये प्रतिकिलो की दर से खरीदा गया जामुन कोलकाता, दिल्ली, नागपुर जैस नगरों में लगभग दो सौ रूपये प्रतिकिलो की दर पर बिकता है।
क्षेत्र के ग्रामीणा आदिवासी लगातार छले जा रहे हैं ।
जोबी चौकी प्रभारी के मुस्तैद होने के उपरांत जांजगीर चाम्पा जिला के बिचौलियों का आवाजाही कोरोना काल के दौरान… क्षेत्र में जमकर हो रहा हैं कानाफूसी… लेकिन इस ओर न तो शासन का ध्यान है और नहीं प्रशासन ही कोई रूचि दिखा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर इसके संग्रह और विक्रय का समुचित व्यवस्था हो जाने से ग्रामीणों के जीवन स्तर पर अप्रत्याशित सुधार आ सकता है। जामुन के बिचौलियों द्वारा मनमानी दर पर खरीदी रोकने कारगार कानून मनाए जाने की ओ ध्यान दिया जाना चाहिए।
दो दिन की मेहतन
जामुन संग्रह करने ग्रामीणों को खासी मशक्कत करनी पडती है। पेड़ पर चढ़कर जामुन को गिराने से पहले इसकी समुचित तैयारी करनी पड़ती है। पेड़ के नीचे आसपास की जमीन की सफाई के बाद जामुन के गिरने से नुकसान होने बचाने के लिए चादर तिरपाल की विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है, जामुन को पेड़ से तोड़े के लिए बड़े बांस के सहारे फलों तक पहुंच तोड़ने के बाद उसे बाजार तक पहुंचाना भी कम श्रमसाध्य नहीं है। परिवहन में ही संग्राहकों को खासी परेशानियों का समाना करना पड़ता हैं। इस पूरी प्रक्रिया में औसत दो दिन लग जाता है।
शुगर की कारगर दवा
(गौ वंश को भी खूब भा रहा जामुन का स्वाद …)
जामुन सिर्फ स्वाद के लिए उपयोग नहीं होता बल्कि यह अपने औषधि गुणों के कारण भी खासा महत्वपूर्ण है। जानकारों के अनुसार जामुन शुगर रोग उपचार में रामबाण दवा है। यहीं कारण है कि महानगर में इसकी खासी मांग रहती है और बिचौलिए इसका फायदा उठाने से नहीं चुनाना चाहते।