जिले के गौठानों के 320 एकड़ जमीन पर चारागाह हो रहे तैयार
जिले के गौठानों के 320 एकड़ जमीन पर चारागाह हो रहे तैयार
पशुधन को साल भर मिले हरा चारा इसके लिए गौठानों में रोपे गए हाईब्रिड नेपियर घास
एक रोपाई के बाद हाइब्रिड नेपियर घास से 4-5 वर्षों तक हरा चारा का किया जा सकता है उत्पादन
रायगढ़- छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के अंतर्गत जिले के स्वीकृत गौठानों में चारागाह का विकास किया जा रहा है। इस योजना के तहत् पशुधन विकास विभाग द्वारा जिले के 09 विकास खण्डों के गौठान ग्रामों के चारागाह स्थल में पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए हाइब्रिड नेपियर घास का रोपण किया गया है। कलेक्टर भीम सिंह ने सभी स्वीकृत गौठानों में पर्याप्त जगह का चिन्हांकन कर नेपियर घास लगाने के निर्देश दिए थे। जिससे कि पशुधन को साल भर हरा चारा मिलता रहे।
डॉ.आर.एच.पाण्डेय उप संचालक पशु चिकित्सा विभाग रायगढ़ ने बताया कि जिले के 277 गौठानों में चारागाह विकास अंतर्गत हाइब्रिड नेपियर रोपित किया गया है। कलेक्टर श्री भीम सिंह के निर्देशानुसार जिले के गौठानों के 320.88 एकड़ भूमि में पशुधन विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी व गौठान प्रबंधन समिति के स्व-सहायता समूह द्वारा हाइब्रिड नेपियर घास का रोपण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। हरा चारा उत्पादन की सतत् निगरानी के लिए विकास खण्ड स्तर पर विकास खण्ड नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि चारागाह के लिए आरक्षित भूमि को तार से फेंसिंग किया जा रहा है तथा सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। चारागाह में नेपियर घास को चारे के रूप में लगाए जाने के बारे में उन्होंने बताया कि नेपियर घास से 4-5 वर्षों तक हरा चारा का उत्पादन किया जा सकता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुन: फैलने लगती है और 40 दिन बाद कटाई के लिए पुन: तैयार हो जाता है। इसमें पशुओं के लिए आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि हाईब्रिड नेपियर घास में क्रूड प्रोटीन 8.10 फीसदी, क्रूड रेशा 30 फीसदी और कैल्शियम 0.5 फीसदी होता है। इसके अलावा 16.20 फीसदी शुष्क पदार्थ, 60 फीसदी पाचन क्षमता और 3 फीसदी ऑक्सीलेट होता है।
नेपियर घास रोपण कार्य के संबंध में स्व-सहायता समूहों व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया साथ ही चारागाह विकास कार्य के संचालन का जिम्मा संबंधित गौठान के गौठान प्रबंधन समिति की निगरानी में स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए स्व-सहायता समिति के सदस्यों को चारे के रख-रखाव संबंधी प्रशिक्षण दिया गया है। हरा चारा उत्पादन से होने वाली शुद्ध आय स्व-सहायता समूह के सदस्यों की आय होगी। जिले में चारागाह विकास कार्य का संचालन होने से गौठान के पशुओं को हरा चारा उपलब्ध होगा।