पर्यावरण नियमों को ठेंगा दिखाते रेत माफिया,प्रशासन मुकदर्शक…
रायगढ़।माण्ड नदी में अवैध रेत खनन के कारण नदी के जलीय जीवन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। अनियंत्रित खनन गतिविधियों ने नदी के प्राकृतिक संतुलन को बुरी तरह से प्रभावित किया है,जिससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों के जीवन चक्र में बाधा उत्पन्न हो रही है।
स्थानीय पर्यावरणविदों का कहना है कि अवैध खनन से नदी की जलधारा में अवरोध पैदा हो गया है, जिसके कारण नदी के किनारे और भीतर रहने वाले जीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। नदी की तलहटी से अत्यधिक रेत निकाले जाने के कारण नदी का तल नीचे चला गया है, जिससे जलस्तर घट गया है और जलीय पौधों और जीवों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं।
इसके अलावा,रेत खनन के दौरान नदी में भारी मात्रा में मिट्टी और गाद घुल जाती है, जिससे पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। गाद जमा होने से मछलियों के अंडे और पौधों की जड़ें नष्ट हो रही हैं, जिससे दिनों दिन मछलियों की संख्या में कमी आ रही है। यह स्थिति मछुआरों की आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है,क्योंकि मछलियों की पकड़ कम हो गई है।
स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण संगठनों ने प्रशासन से इस अवैध रेत खनन के गतिविधि पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि अवैध रेत खनन को तुरंत नहीं रोका गया,तो माण्ड नदी के जलीय जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है और इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
हालांकि खनिज अधिकारी,प्रशासन ने इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है,लेकिन स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और माण्ड नदी को इस विनाशकारी खनन से बचाने के लिए जल्द कार्यवाही की जाएगी। यदि समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाए गए,तो इस क्षेत्र में पर्यावरणीय संकट और भी गहरा हो सकता है।