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पूरे देश में गूंज रही किसानों की आवाज, ऐसे बनी इतने बड़े आंदोलन की प्लानिंग

पूरा देश किसान आंदोलन की तस्वीरें देख रहा है. कृषि बिल (Agricultural Bill) को वापस लेने की मांग को लेकर किसान गुस्से में हैं. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी के हजारों किसान दिल्ली पर चढ़ बैठे हैं. जय जवान, जय किसान वाले देश में नौबत यहां तक आ पड़ी है कि जवान और किसान एक-दूसरे के सामने खड़े हैं. कौन हैं ये किसान? क्यों इतने नाराज हैं? कहां से ये चले आए हैं? क्या करके ये मानेंगे? …इन सवालों को गंभीरता से समझने की जरूरत है.

पूरा मामला केंद्र सरकार के तीन कृषि बिल से जुड़ा है. इन तीन कृषि बिल को किसान विरोधी मानकर इसका सितंबर महीन से ही जबरदस्त विरोध हो रहा है. इन विरोध प्रदर्शनों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के दर्जनों किसान संगठन शामिल हैं. सभी ने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा बना डाला है. इसी के बैनर तले किसानों ने दिल्ली की ओर कूच किया है.

किसान आंदोलन में राजनीति भी शामिल

पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी मांगों को लेकर हमेशा से मुखर रहे हैं. जितना इन्हें दबाने की कोशिश हुई है इनका प्रतिरोध उतना ही जबरदस्त रहा है. इस बात को समझने की जरूरत है कि इस किसान आंदोलन में कई राजनीतिक दलों की राजनीति भी घुसी हुई है. इसी ने बड़े किसान आंदोलन को जन्म दिया है.

केंद्र सरकार के कृषि बिल का पंजाब और राजस्थान जैसे गैर-बीजेपी राज्य विरोध कर रहे हैं. जबकि हरियाणा और यूपी जैसे बीजेपी शासित राज्य बिल के समर्थन में हैं. अक्टूबर महीने में पंजाब विधानसभा ने एक स्पेशल सेशन बुलाकर केंद्र के कृषि बिल को रद्द कर दिया. सभी ने एकमत होकर कृषि बिल को पंजाब में लागू नहीं करने का एक रिजोल्यूशन पास किया.

कृषि बिल के खिलाफ रिजोल्यूशन लाने की मांग उठी

पंजाब के इस कदम के बाद हरियाणा सरकार से भी कृषि बिल के खिलाफ इसी तरह के रिजोल्यूशन लाने की मांग उठने लगी. ऐसी मांग लेकर हरियाणा के किसानों ने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और उर्जा मंत्री रणजीत चौटाला के घरों का घेराव भी किया. चौटाला की जननायक जनता पार्टी को किसानों की पार्टी माना जाता है. लेकिन कृषि बिल पर जेजेपी का रूख बीजेपी के साथ है.

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कुछ किसान संगठनों से बातचीत भी की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. जब किसानों को लगा कि हरियाणा सरकार उनकी बात नहीं मानने वाली है, तभी उन्होंने दिल्ली की ओर कूच करने का फैसला लिया, ताकि केंद्र सरकार पर दवाब बनाया जा सके. यहीं से दिल्ली चलो का नारा उछला और किसान एकजुट होने लगे.

किसान आंदोलन का समर्थन कर रहीं तमाम पार्टियां

हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी को छोड़कर सभी पार्टियां किसान आंदोलन का समर्थन कर रही हैं. उनके लिए ये किसानों के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने का मौका है. उसी तरह से राजस्थान और पंजाब की कांग्रेस सरकार भी किसानों के साथ खड़ी है. पंजाब की अकाली दल किसानों के मसले पर एनडीए से अलग हो चुकी है. अमरिंदर सरकार के समर्थन की वजह से किसानों ने पंजाब में हफ्तों तक रेल रोको आंदोलन चलाया. अब किसानों की धमक दिल्ली तक पहुंच चुकी है.

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