छत्तीसगढ़

भाजपा के बड़े नेता जमीन पर उतरेंगे…भाजपा ने बनाए 11 लोकसभा के प्रभारी,एक-एक विधानसभा तक जाएंगे, रात रुकेंगे…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की सत्ता हाथ से जाने के चार साल बाद अब भाजपा के बड़े नेता जमीन पर उतरेंगे। संगठन ने 11 लोकसभा क्षेत्रों के प्रभारी तय कर यह कार्यक्रम भी निर्धारित कर दिया है कि उन्हें हर विधानसभा तक जाना है। कार्यकर्ताओं से संवाद करना है। उनके बीच रात बिताना है। किसी सामान्य कार्यकर्ता के घर पर दोनों समय भोजन करना है। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, नंदकुमार साय, विष्णुदेव साय, रामविचार नेताम, रेणुका सिंह, सरोज पांडेय, ननकीराम कंवर, बृजमोहन अग्रवाल के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को भी एक-एक लोकसभा का प्रभारी बनाया गया है। इसकी शुरुआत हो चुकी है। जनवरी के पहले हफ्ते तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है। खास बात यह है कि क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल भी छत्तीसगढ़ में कैम्प कर ग्राउंड लेवल पर बैठकें कर रहे हैं।

क्या ये है 2023 के चुनाव की तैयारी
भाजपा ने जो कार्यक्रम तय किया है, उसे पढ़कर यही सवाल मन में आता है कि क्या यही 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी है? संगठन के नेताओं का कहना है कि यह ट्रेलर है। क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल और प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर ने जो रोडमैप बताया है, उसके मुताबिक दिग्गजों को भी बूथ और शक्ति केंद्रों तक जाना होगा। बड़े आंदोलन और धरना-प्रदर्शन पर पूरी ताकत झोंकने और फिर शांत बैठने के लिए अब मौका नहीं मिलेगा। संगठन के रणनीतिकारों का कहना है कि बूथ और शक्ति केंद्रों तक की गतिविधि नियमित रूप से चलेगी।

कार्यकर्ताओं से जोड़ने की कवायद
2018 के चुनाव में हार के बाद भाजपा के रणनीतिकारों ने तब फीडबैक लिया तो यह बात सामने आई कि सत्ता के कारण नेता अपने कार्यकर्ताओं से दूर हो गए थे। यही वजह है कि डी. पुरंदेश्वरी ने भी कार्यकर्ताओं के बीच जाने, प्रभार क्षेत्र में प्रवास करने जैसे कार्यक्रम बनाए थे। इसमें पदाधिकारियों ने लापरवाही की। अब क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल और छत्तीसगढ़ प्रभारी ओमप्रकाश माथुर दोनों ने सख्ती से कहा है कि हर नेता को अपने-अपने क्षेत्र में जाना ही होगा।

केंद्रीय नेतृत्व का फोकस छत्तीसगढ़ पर
गुजरात चुनाव के बाद अब केंद्रीय नेतृत्व का छत्तीसगढ़ पर विशेष फोकस होगा। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी चुनाव होने हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व का फोकस छत्तीसगढ़ पर ज्यादा है, क्योंकि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड है। वहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच आपसी गुटबाजी का भी भाजपा को लाभ मिलेगा। मध्यप्रदेश में सरकार है और वहां अलग रणनीति से काम किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार सबसे मजबूत स्थिति में है। यहां सबसे खराब प्रदर्शन की स्थिति में कांग्रेस के यदि 20 विधायक भी हारते हैं, तब भी कांग्रेस बहुमत में रहेगी। यही वजह है कि मेन टू मेन मार्किंग कर विधायकों-मंत्रियों को घेरा जाएगा। इससे पहले सभी प्रमुख नेताओं को कार्यकर्ताओं के बीच भेजने की रणनीति बनाई गई है।

रमन के क्षेत्र में साय, सरोज के क्षेत्र में नेताम
संगठन ने 11 लोकसभा के लिए तीन से लेकर पांच नेताओं की टीम बनाई है। अलग-अलग क्षेत्रों में जिम्मेदारियां तय की गई है। वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय को पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के संसदीय क्षेत्र राजनांदगांव की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह सरोज पांडेय के क्षेत्र दुर्ग की जिम्मेदारी रामविचार नेताम को दी गई है। देखें, किसे कहां का प्रभारी बनाया गया

सरगुजा
बृजमोहन अग्रवाल
पुन्नूलाल मोहले
संजय श्रीवास्तव
उद्धेश्वरी पैकरा
रामसेवक पैकरा

रायगढ़
अरूण साव
रामसेवक पैकरा
यशवंत जैन

कोरबा
नारायण चंदेल
गोमती साय
अनुराग सिंहदेव
लखन देवांगन

महासमुंद
ननकीराम कंवर
मोहन मंडावी
सौरभ सिंह
सरला कोसरिया

बिलासपुर
डॉ. रमन सिंह
गुहाराम अजगले
विजय शर्मा
लखन साहू

जांजगीर-चांपा
सरोज पांडेय
सुनील सोनी
किरण देव
निर्मल सिन्हा
गौरीशंकर अग्रवाल

रायपुर
धरमलाल कौशिक
केदार कश्यप
चुन्नीलाल साहू
लक्ष्मी वर्मा

दुर्ग
रामविचार नेताम
अजय चंद्राकर
भूपेंद्र सवन्नी

राजनांदगांव
नंदकुमार साय
विजय बघेल
ओपी चौधरी
अभिषेक सिंह
मधुसूदन यादव

कांकेर
रेणुका सिंह
प्रेमप्रकाश पांडेय
चंदूलाल साहू
भरतलाल वर्मा
विक्रम उसेंडी

बस्तर
विष्णुदेव साय
शिवरतन शर्मा
संतोष पांडेय
महेश गागड़ा
लता उसेंडी

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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