
कलेक्टर ने ली राईस मिलरों और समिति प्रबंधकों की बैठक, करीब 19 लाख बारदाने जमा हैं उपार्जन केंद्रों में
धान खरीदी के दौरान बारदानों की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए मिलरों और किसानों को बोरे जमा करने को कहा गया था। समितियों को किसानों से ही बारदाने लेकर खरीदी करने को कहा गया। जब राइस मिलरों ने बारदाने भेजे तो भी समितियों ने किसानों के बोरों में ही खरीदी की। अंत में मिलरों के बारदाने बाकी रह गए। ये बारदाने रिकॉर्ड में समिति के खाते में चढ़ चुके हैं। धान खरीदी के बाद समितियों को मिलने वाली कमीशन राशि भुगतान के पूर्व लेखा मिलान होना है। इसमें बारदाने की राशि कटौती हो जाती। इसलिए समितियां इसे मिलरों को वापस कराने को कह रही हैं। मिलर इसके लिए तैयार नहीं हैं। शुक्रवार को कलेक्टर ने राइस मिलरों और समिति प्रबंधकों की बैठक ली। समस्या की जानकारी लेने के बाद उन्होंने समितियों के तर्क को सही माना। शासन से पत्राचार कर बारदाने वापसी का रास्ता निकालने का आश्वासन दिया। वहीं राइस मिलरों को कहा गया है कि समिति में जितना भी बारदाना है उसका भौतिक सत्यापन होगा। जितना भी अच्छा बारदाना होगा वह मिलरों को वापस ले जाना होगा। लेखा मिलान को पूरा करने कहा गया है। हालांकि यह वैकल्पिक उपाय शासन से अनुमति मिलने के बाद ही आजमाया जाएगा।
अगली खरीदी के लिए पीडीएस बारदाने जमा करने आदेश
इधर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने धान खरीदी के अगले सत्र के लिए बारदानों की व्यवस्था करने का आदेश दिया है। अप्रैल महीने से पीडीएस दुकानों में खाली हुए बारदानों को एकत्र कर सुरक्षित रखने को कहा गया है। दुकानों में ही बारदाने भंडारित करने के बाद खरीदी के समय इसे समितियों में भेजा जाएगा।