फिर एक नर दंतैल का शव मिला… अवैध शिकार की आशंका
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ और छाल वन परिक्षेत्र में साल के बारह महीने जंगली हाथियों की मौजूदगी रहती है। इन जंगली हाथियों के द्वारा आए दिन जंगलों से निकलकर रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर ग्रामीणों के घरों व फसलों को लगातार नुकसान पहुंचाया जाता है। बीते कुछ महीनों की अगर हम बात करें तो घरघोड़ा वन परिक्षेत्र में ही जंगली हाथियों के हमले से अब तक दो की मौत हो चुकी है और यहां भी एक हाथी शावक की लाश मिल चुकी है।
रायगढ़ जिले में लगातार बढ़ते जंगली हाथियों के आतंक से वन विभाग के द्वारा न तो ग्रामीणों को राहत दिलाई जा रही है और न ही हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को उचित संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं। आलम यह है कि कुछ गांव के ग्रामीण अब स्वयं ही आत्मनिर्भर होकर अपने व अपने फसलों की रक्षा हेतु रतजगा करने के लिये लगे हैं। कुछ हाथी प्रभावित गांव ऐसे हैं जहां शाम ढलते ही पूरे गांव में सन्नाटा पसर जाता है। इतना ही नही कई बार तो इन जंगली हाथियों के आतंक से बचने के लिये करंट प्रवाहित तार भी खेतों के किनारे लगा देते हैं जिससे जंगली हाथियों की मौत हो जाती है।