छत्तीसगढ़

ED की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया नोटिस;10 दिन में मांगा जवाब


छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) घोटाले के आरोपी अफसरों डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की मुश्किल बढ़ सकती है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया है। सभी को 10 दिनों में जवाब देने को कहा गया है।मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की बेंच ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से इस मामले की सुनवाई की। इस बेंच में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली शामिल रहे। ED की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। वहीं अनिल टुटेजा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और डॉ. आलोक शुक्ला की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की।सुनवाई के बाद सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकार और CBI को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। प्रतिवादियों को दिया गया नोटिस उनके वकीलों को ही सर्व करा दिया गया। अदालत ने 10 दिन बाद अगली सुनवाई तय की है, उसी में जवाब पेश किया जाना है। अदालत ने सरकार को इस मामले में अपना वकील खड़ा करने और काउंटर एफिडेविड देने की छूट दी है।सीलबंद लिफाफे को रिकॉर्ड में लिया गयापिछली सुनवाई में ED ने अदालत को सीलबंद लिफाफे में कुछ दस्तावेज दिए थे। शुक्रवार की सुनवाई के दौरान बेंच ने वह लिफाफा खोला। उसे देखने के बाद उसे रिकॉर्ड में शामिल किया गया। उसके बाद लिफाफे को फिर से सीलबंद कर दिया गया। बताया जा रहा है, उस लिफाफे में नान घोटाले के आरोपियों के साथ छत्तीसगढ़ के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और विधि अधिकारियों के साथ बातचीत का रिकॉर्ड है।दोनों अफसरों को रिमांड पर लेना चाहती है EDED नान घोटाले के दोनों आरोपियों डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है। दोनों अफसरों को अगस्त 2020 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की एकल बेंच ने अग्रिम जमानत दे रखी है। ऐसे में ED ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अवकाश याचिका दाखिल की है। इसमें अग्रिम जमानत का आदेश खारिज करने की मांग मुख्य है।क्या है यह छत्तीसगढ़ का नान घोटाला2015 में राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36,000 करोड़ रुपए का कथित घोटाला सामने आया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था। इसमें करोड़ों रुपए नकद बरामद किए गए। इसके अलावा भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी जब्त हुई थी। इसी मामले में आरोपी बनाए गए लोगों में खाद्य विभाग के तत्कालीन सचिव डॉ. आलोक शुक्ला और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अनिल टुटेजा भी थे।चार साल बाद हुई ED की एंट्रीकरीब चार साल बाद जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो अचानक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। ED ने जनवरी 2019 में आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया। मार्च में उनको नोटिस देकर दिल्ली बुलाया गया। तीन दिन तक पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ा गया। इस बीच ED ने दोनों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। गिरफ्तारी की आशंका बनी तो दोनों अधिकारी उच्च न्यायालय की शरण में चले गए। वहां अगस्त 2020 में उन्हें अग्रिम जमानत मिल गई।

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