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पाकिस्तान में सिंध को अलग देश बनाने की मांग तेज, पीएम मोदी के पोस्टरों के साथ सड़कों पर उतरे लोग, देखिए वीडियो

 नई दिल्ली : पाकिस्तान में सिंध को अलग देश बनाने की मांग तेज हो गई है। सिंध को अलग देश बनाने की मांग को लेकर इमरान खान सरकार के खिलाफ यहां हजारों लोगों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान लोग नरेंद्र मोदी समेत कई विदेशी नेताओं की तस्वीर हाथ में लिए हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने अपील की कि विश्व के नेता सिंध को अलग देश बनाने में उनकी मदद करें।

दरअसल 17 जनवरी यानी कल जीएम सैयद की 117वीं जयंती थी। इस मौके पर प्रांत के जमसोरो जिले में सैयद के गृहनगर में अलग सिंधुदेश बनाने की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया गया। आपको बता दें कि जीएम सैयद को आधुनिक सिंधी राष्ट्रवाद का संस्थापक माना जाता है। इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य विश्व नेताओं की तख्तियों को उठाया ताकि सिंधु देश की स्वतंत्रता के लिए अपना समर्थन दें।

इन लोगों का कहना है कि सिंध, सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक धर्म का घर है, जिसपर ब्रिटिश साम्राज्य ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया था और 1947 में पाकिस्तान के इस्लामी हाथों में दे दिया गया था। सिंध में कई राष्ट्रवादी दल हैं, जो एक स्वतंत्र सिंध राष्ट्र की वकालत कर रहे हैं। वे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं और पाकिस्तान को एक ऐसा व्यवसायी बताते हैं, जो संसाधनों का दोहन जारी रखता है और इस क्षेत्र में मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल है।

इस आंदोलन से जुडे़ नेताओं का मानना है कि संसदीय तरीके से आजादी और अधिकार नहीं मिल सकते हैं। सिंध प्रांत के साथ इमरान सरकार काफी ज्‍यादती कर रही है। यही नहीं सिंध की जमीन को जबरन चीन को दिया जा रहा है। समुद्री इलाके चीन को मछली पकड़ने के लिए दिए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि बलूचिस्‍तान में सिंध के आजादी समर्थक संगठनों ने पिछले दिनों ऐलान किया था कि वे चीन-पाकिस्‍तान आर्थिक कॉरिडोर का म‍िलकर विरोध करेंगे। उन्‍होंने कहा था कि चीन के दमनात्‍मक सीपीईसी प्रॉजेक्‍ट से सिंध और बलूचिस्‍तान दोनों ही प्रभावित हुए हैं। बलूच राजी अलोई संगर संगठन के प्रवक्‍ता बलोच खान ने कहा क‍ि सीपीईसी के जरिए चीन सिंध और बलूचिस्‍तान पर कब्‍जा करना चाह रहा है। यही नहीं ग्‍वादर और बादिन के तटीय संसाधनों पर भी नियंत्रण करना चाह रहा है।

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