छत्तीसगढ़रायगढ़

हरियाली के नाम पर खिलवाड़ करने वाले उद्योगों की नपेगी गर्दन…

एक तिहाई जमीन पर प्लान्टेशन नहीं करने वाले उद्योगों की पर्यावरण विभाग करायेगी जांच

अनुबंध के अनुरूप पौधरोपण नहीं पाये जाने पर संबंधितों पर होगी वैधानिक कार्रवाई

रायगढ़ । जिले में स्थित छोटे से बड़े उद्योग प्रदूषण फैलाने में तो आगे रहते हैं मगर हरियाली फैलाने में उतने ही पीछे रहते हैं। प्लांट स्थापना की अनुमति भी इसी आधार पर दी जाती है कि कंपनी अपनी एक तिहाई जमीन में प्लांटेशन करेगा और उसकी देखभाल करेगा मगर कुछेक उद्योगों को छोड़ कर बाकी उद्योग घराने वाले इसको लेकर बेपरवाह बने हुए हैं। वही जिले से बाहर का फलाईएस का ढेर श्मशान घाट नदी,नाले,सड़क के ढेर कर 9-2-11हो जाते है। प्लांटेशन तो करते हैं मगर उसकी देखभाल नहीं करते नतीजतन उद्योग एरिये में हरियाली कम और काले धुएं की कालिख ज्यादा नजर आती है पर्यावरण विभाग ने इसे काफी गंभीरता से लिया है और ऐसे उद्योगों की जांच कर सूची तैयार करते हुए उन्हें नोटिस जारी करने की तैयारी शुरू कर दी है।

कभी चारों तरफ हरीतिमा से आच्छादित नजर आने वाला रायगढ़ जिला आज चारों तरफ उद्योगों से घिर चुका है समय बीतने के साथ ही उद्योगों का विस्तार हो रहा है और इन सबके बीच जिले की हरियाली धीरे – धीरे धूमिल होते जा रही है। इसमें काफी हद तक औद्योगिक इकाईयों का भी हाथ है। पर्यावरण संतुलन बनाये रखने में अपना योगदान देने की बजाये यहां के अधिकांश उद्योग इसके साथ सिर्फ और सिर्फ खिलवाड़ करते हुए अपनी जिम्मेदारियों से भागते आ रहे हैं। यहां यह बताना जरूरी होगा कि किसी भी उद्योग की स्थापना के पूर्व शासन के साथ होने वाले एमओयू में यह स्पष्ट होता है कि संबंधित प्लांट को अपनी कुल जमीन के एक तिहाई हिस्से में प्लांटेशन करना है और हरियाली फैलानी है।

इसी शर्त के आधार पर उन्हें प्लांट स्थापना की अनुमति दी जाती है मगर उद्योग संचालित होने के बाद अधिकांश प्लांट प्रबंधन अपने वायदे से मुकर जाते हैं ऐसा नहीं है कि उद्योगों की ओर से प्लांटशन के नाम पर कुछ भी नहीं किया जाता किया जाता है मगर सिर्फ दिखावे के लिए। पौधे लगाने के बाद फिर से दोबारा उनकी तरफ नहीं देखा जाता,न ही कोई देखरेख की जाती है। ऐसे में खुद के प्लांट से निकलने वाले काले डस्ट की मार झेलते हुए प्लांटेशन दम तोड़ देते हैं जिसका असर आम जनजीवन व पर्यावरण संतुलन पर पड़ रहा है। पर्यावरण विभाग ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया और प्लांटेशन के नाम पर खानापूर्ति करने वाले ऐसे प्लांटों की सूची तैयार कर उन्हें नोटिस जारी करने की तैयारी कर ली है।

कुछेक को छोड़कर अधिकांश बेपरवाह

ऐसा नहीं है कि जिले के सारे के सारे उद्योग हरियाली का मजाक बना रहे हैं। कुछेक उद्योग अब भी हैं जो कि नियमित तौर पर प्लॉटेशन पर न सिर्फ ध्यान देते हैं बल्कि उसकी मॉनिटरिंग भी करते हैं। ऐसे उद्योगों में आज भी चारों तरफ हरियाली नजर आती है जबकि ऐसे उद्योग जहां हरियाली के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है वहां प्रवेश करते ही चारों तरफ काले डस्ट की परतें ही दिखलाई पड़ते हैं।

थर्ड पार्टी के जरिये करायी जायेगी जांच

पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी एसके वर्मा ने बताया कि उद्योगों के लाइसेंस का नवीनीकरण भी इसी के आधार पर दिया जाता है। यह काफी गंभीर मामला है। थर्ड पार्टी के जरिये ऐसे उद्योगों की जांच करायी जायेगी। यदि तय टारगेट के विपरीत प्लांटेशन नहीं पाया जाता है तो संबंधितों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जायेगी।

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