छत्तीसगढ़

धरना, प्रदर्शन, जुलूस के लिए अब अनुमति अनिवार्य, गृह विभाग ने जारी किए आदेश…

रायपुर ।

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प्रदेश में अब सार्वजनिक कार्यक्रमों धरना प्रदर्शन और आंदोलन के लिए अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इस संबंध में गृह विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। ज्ञातव्य है कि रविवार को ही किसान आंदोलन और विद्युत विभाग के संविदा कर्मियों के धरना प्रदर्शन के पंडाल पुलिस ने उखाड़े हैं।

आंदोलन कार्यक्रम और धरना प्रदर्शन की अनुमति लेने के लिए आवेदन का फॉर्मेट भी जारी किया गया है। अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू के हस्ताक्षरित ये आदेश जारी हुआ है। गृह विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टर और एसपी को इस संबंध में पत्र भेज दिया है।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने प्रदेश में सार्वजनिक कार्यक्रम, धरना, जुलूस, रैली, प्रदर्शन, भूख हड़ताल को लेकर आदेश जारी किया है। गृह विभाग ने सभी जिले के कलेक्टरों को आदेश जारी कर सार्वजनिक कार्यक्रमों/आयोजनों की पूर्व अनुमति लेने की अनिवार्यता के निर्देश दिए हैं।

जारी आदेश के अनुसार…
आयोजन के दौरान आम जनता की सुविधा के लिए यातायात और सुरक्षा नियमों का पालन किया जाएगा।
आयोजन की वीडियोग्राफी की जाएगी और रिकॉर्डिंग की एक प्रति, जुलूस/सभा के बाद दो दिनों की अवधि के भीतर संबंधित एस.डी.एम. को प्रस्तुत की जाएगी।
लाउडस्पीकर का प्रयोग जुलूस/सम्मेलन समय के दौरान प्रतिबंधित डेसिबल सीमा पर किया जाएगा।
ध्वनि विस्तार यंत्र के उपयोग के संबंध में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और ग्रीन ट्रिब्युनल के द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन किया जाएगा।
आयोजन में शामिल होने के लिए या बने रहने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जाएगा।
अनुमति में दिए गए समय और स्थान पर आयोजन समाप्त किया जाएगा।
आयोजन में शामिल होने वाली संख्या का कम से कम 5 प्रतिशत वॉलेंटियर रखेंगे, जो पुलिस और प्रशासन को व्यवस्था बनाने में सहयोग करेंगे।
आयोजन में शामिल होने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधा आयोजन स्थल पर की जाएगी।
आयोजन में किसी भी पशु/पक्षी का उपयोग नहीं किया जाएगा।
आयोजन में लाठी, डंडा, हथियार या आग्नेय अस्त्र किसी को भी रखने की अनुमति नहीं होगी।
व्यवस्था में लगे पुलिस, प्रशासन या अन्य शासकीय अधिकारी से दुर्व्यवहार या काम में व्यवधान नहीं किया जाएगा।
आयोजन के दौरान किसी भी सार्वजनिक, निजी संपत्ति को क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी।

गृह विभाग के आदेश के मुताबिक कई संस्था और संगठन जिला प्रशासन से बिना अनुमति प्राप्त किए ही आयोजन कर रहे हैं। इतना ही नहीं अनुमति प्राप्त करने के बाद आयोजन का स्वरूप में परिवर्तन कर देते हैं, जो सही नहीं है। ऐसी स्थिति में आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा व्यावसायिक गतिविधियां भी प्रभावित होती है।

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