बड़ी घोषणा : किसान गौठानों से वर्मी कम्पोस्ट का भी कर सकेंगे अग्रिम उठाव
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर बेचने वाले पशुपालक ग्रामीणों सहित गौठान समितियों तथा महिला स्व-सहायता समूहों को कुल 5 करोड़ 38 लाख रुपये की राशि का ऑनलाइन अंतरण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गौरव की बात है कि हमारी गोधन न्याय योजना को झारखंड राज्य में जस-का-तस अपने राज्य में लागू करने का निर्णय लेते हुए इसे अपने बजट में शामिल किया है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे गौठान और गोधन न्याय योजना की सफलता अब किसी से छुपी नहीं रह गई है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि आज राज्य के 2800 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो राज्य में निर्मित एवं संचालित गौठनों की संख्या का एक तिहाई से भी अधिक है। यह स्वावलंबी गौठान अब गोधन न्याय योजना के अंतर्गत स्वयं की राशि से गोबर खरीदी और गौठान की व्यवस्था स्वयं संभालने लगे हैं। यह खुशी की बात है कि स्वावलंबी गौठान अब पशुपालक ग्रामीणों से गोबर खरीदी में स्वयं की पूंजी का निवेश करने लगे हैं। स्वावलंबी गोठनों ने 12 करोड़ 60 लाख रुपये का गोबर, स्वयं की राशि से खरीदा है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने स्वावलंबी गोठान समिति के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन साल पहले हम लोगों ने नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का संकल्प लिया था, अपने छत्तीसगढ़ को नयी पहचान दिलाने का संकल्प लिया था, अपनी छत्तीसगढ़-महतारी का मान बढ़ाने का संकल्प लिया था। आज तीन साल बाद मैं बहुत गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमारी सरकार ने अपने हर वादे की तरह इस संकल्प को भी पूरा कर दिखाया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने किसानों, आदिवासियों, मजदूरों और शोषित-पीड़ित लोगों के लिए इन तीन वर्षों में जो कदम उठाए हैं, आज उनकी पूरे देश में चर्चा हो रही है। विपक्ष के लोग भी छत्तीसगढ़ की योजनाओं की तारीफ कर रहे हैं। दूसरे राज्यों में भी ऐसी ही योजनाएं लागू करने का वादा कर रहे हैं। अभी उत्तरप्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी जी ने वहां के लोगों से गोबर खरीदी की योजना शुरु करने का वादा किया। इससे पहले भी संसद में कृषि मामलों की स्थायी समिति गोधन न्याय योजना को पूरे देश में लागू करने की मांग कर चुकी है। नीति आयोग को भारत सरकार का थिंक-टैंक कहा जाता है। नीति आयोग ने परसों ही ट्वीट करके पूरे देश को बताया है कि बस्तर और दंतेवाड़ा की महिलाएं किस तरह महुआ-लड्डू, चाय, जैम, जेली और कुकीज जैसे खाद्य पदार्थ तैयार करके खुद को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित हो रहे हमारे गौठानों में भी तरह-तरह की चीजों का उत्पादन हमारी महिला बहनें कर रही हैं। इन वस्तुओं की ऑन लाइन मार्केटिंग की जा रही है। तीन साल पहले तक छत्तीसगढ़ को सिर्फ नक्सली उपद्रव के नाम पर लोग जानते थे, आज हमारे गांव की समृद्धि हमारे राज्य की पहचान है। 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। दुनियाभर में महिलाएं सदियों से अपने अधिकारों से वंचित रही हैं। हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम उन्हें उनके अधिकार दिलाने का संकल्प लेते हैं। मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि हमने माताओं-बहनों को उनके अधिकार दिलाने का केवल संकल्प ही नहीं लिया, उसे पूरा भी किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना से 02 लाख 8 हजार से ज्यादा लोगों को लाभ हो रहा है। इनमें 45 प्रतिशत महिलाएं हैं। राज्य में अभी तक 10 हजार 591 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 8 हजार 48 गौठान निर्मित हो चुके हैं। शेष का निर्माण प्रगति पर है। पिछले एक महीने के भीतर ही हमने 301 गौठानों का निर्माण पूरा किया है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत आज जैविक खाद के साथ-साथ बिजली, प्राकृतिक पेंट का भी उत्पादन किया जा रहा है। गौठानों में तेल मिल और दाल मिल लगाई जा रही है। आज यह योजना एक मिशन के रूप में संचालित की जा रही है। गोधन न्याय योजना में 15 फरवरी तक 64 लाख 92 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी थी। इसके एवज में ग्रामीणों और पशुपालकों को 129 करोड़ 86 लाख रुपए का भुगतान किया गया था। बीते एक पखवाड़े में की गई गोबर खरीदी के एवज में 02 करोड़ 07 लाख रुपए का और भुगतान किया गया है। इसे मिलाकार अब तक हुए भुगतान की कुल राशि 131 करोड़ 93 लाख रुपए हो गई है। गौठान समितियों को अब तक 48.05 करोड़ रुपए तथा महिला स्व सहायता समूहों को 31.34 करोड़ रुपए के लाभांश का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने गोधन न्याय योजना को मिल रही सफलताओं और उपलब्धियों के लिए सभी किसान भाई-बहनों, पशुपालकों, गौठान समितियों और महिला समूहों को बधाई दी।
इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ की गौठान और गोधन न्याय योजना की पूरे देश में चर्चा हो रही है। देश के अलग-अलग राज्य इस योजना को अपने यहां लागू कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को झारखंड में अपनाए जाने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान छुट्टा पशुओं की समस्या और गौ माता की रख-रखाव पर राजनीतिक दलों का भाषण केन्द्रित रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य ने इसे कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि हर 15 दिन में गोबर विक्रेताओं को राशि का भुगतान किए जाने का वादा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बीते डेढ़ सालों से लगातार निभाते आ रहे हैं। यह बड़ी बात है।
कृषि मंत्री ने आगे कहा कि भविष्य में रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति में कमी का अंदेशा है। छत्तीसगढ़ राज्य इस कमी को गौठानों में उत्पादित कम्पोस्ट खाद के जरिये पूरा करने की स्थिति में है। राज्य में 16 लाख क्विंटल का उत्पादन हो चुका है। अभी भी साढे़ 6 लाख क्विंटल कम्पोस्ट खाद किसानों को वितरण के लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आगामी खरीफ सीजन के लिए राज्य के किसानों को 20 लाख क्विंटल वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट खाद वितरण का लक्ष्य निर्धारित कर इसकी तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने कम्पोस्ट खाद का उपयोग किया है, अब वह दूसरी किसी खाद का उपयोग नहीं करना चाहते हैं। कम्पोस्ट खाद का उपयोग किसानों, पशुपालकों, महिलाओं के लिए लाभकारी है। इसके उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और विषरहित खाद्यान्न की उपलब्धता जन सामान्य के लिए होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के गौठान देश के लिए मॉडल बनेंगे।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने गौठान की गतिविधियों और गोधन न्याय योजना के प्रगति के बारे में कार्यक्रम के प्रारंभ में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गौठानों में आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित की जा रही हैं। महिला समूहों द्वारा अब तक 56.02 करोड़ रूपए की आय विभिन्न आयमूलक गतिविधियों के माध्यम से अर्जित की जा चुकी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, सचिव कृषि डॉ एस. भारतीदासन, संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं चंदन संजय त्रिपाठी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।