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किसान आंदोलन का 88वां दिन, आज संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 88वां दिन है। एक तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हैं तो दूसरी तरफ सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। फिलहाल इस गतिरोध का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। इस बीच आंदोलनकारी किसानों ने एकबार फिर से अपने आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा में आंदोलन तेज करने की तैयारियों के बीच राकेश टिकैत और नरेश टिकैत एक के बाद एक कई महापंचायत कर रहे हैं।

इन सबके बीच आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होने वाली है। इस बैठक में आंदोलन की आगे की रणनीति का एलान हो सकता है। आपको बता दें ेक कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर किसान अब अगली रणनीति बनाने में जुटे हैं। शनिवार को कुंडली बॉर्डर पर पंजाब के 32 संगठनों की बैठक हुई। जिसमें विचार किया गया कि अब किस तरह से आंदोलन को चलाया जाए जिससे सरकार पर दबाव बनाकर बातचीत का रास्ता खुल सके।

किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें कानून वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है। किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 2 अक्टूबर तक सरकार हर हाल में कृषि कानूनों को वापस ले ले। वहीं सरकार का कहना है कि वो इसमें संशोधन के तैयार है लेकिन कृषि कानून वापस नहीं होगा।

आपको बता दें कि खुद प्रधानमंत्री मोदी किसानों से कृषि कानून पर चर्चा और इसमें बदलाव की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है। इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री का कहना है कि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी पर खरीद भी बढ़ी है। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की, ‘आइये, बातचीत की टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें।’

कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतक 11 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।

गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील है।

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