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छत्तीसगढ़ के किसानों का कंडेल नहर सत्याग्रह सविनय अवज्ञा आंदोलन का सबसे अच्छा उदाहरण: भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रथम रायपुर आगमन के शताब्दीव वर्ष समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया संबोधित

रायपुर, 20 दिसंबर 2020

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रथम रायपुर आगमन के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन सहित हर युग में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के महापुरूषों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन का सबसे अच्छा उदाहरण छत्तीसगढ़ के किसानों का कंडेल नहर सत्याग्रह है। मुख्यमंत्री ने राजधानी रायपुर के महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर में आयोजित इस शताब्दी समारोह को अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।

 उल्लेखनीय है कि कंडेल के किसानों पर ब्रिटिश हुकूमत ने जुर्माना लगाया था, जिसको पटाने से किसानों ने इंकार कर दिया था। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा किसानों के मवेशियों की नीलामी कर जुर्माना वसूलने का प्रयास किया, लेकिन कंडेल नहर सत्याग्रह के नेताओं के आव्हान पर लोगों ने नीलामी में मवेशियों को खरीदने से इंकार कर दिया था। कंडेल नहर सत्याग्रह के अग्रणी नेता बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव के आग्रह पर महात्मा गांधी 20 दिसम्बर 1920 को छत्तीसगढ़ आए थे। महात्मा गांधी के आने की खबर मिलने पर ब्रिटिश हुकूमत ने किसानों पर लगाया गया जुर्माना हटा दिया था। यह सविनय अवज्ञा आंदोलन की पहली बड़ी जीत थी।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जब भी कही आगमन होता था तो इसका असर सम्पूर्ण समाज पर पड़ता था। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने बापू से प्रेरणा लेकर जंगल सत्याग्रह शुरू किया। छत्तीसगढ़ के हजारों नौजवान नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। हजारों लोगों ने जेल यात्राएं की। अछूतोद्धार की लड़ाई छत्तीसगढ़ से शुरू हुई। राष्ट्रपिता ने आजादी के आंदोलन के साथ-साथ समाज की कुरीतियों और विसंगतियों को दूर करने पर भी जोर दिया था। उन्होंने स्वच्छता, स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता और ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना की थी। महात्मा गांधी कहा करते थे कि भारत गांवों में बसता है, गांव भारत की आत्मा है।

मुख्यमंत्री  बघेल ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ गांधी जी के दिखाए रास्ते पर आगे चल पड़ा है। बापू के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए राष्ट्रपिता की जयंती की 150वीं वर्षगांठ पर छत्तीसगढ़ सरकार ने सुराजी गांव योजना प्रारंभ की। जिससे हमारे किसान और गांव आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। मजदूरों को लगातार काम मिल रहा है। छत्तीसगढ़ ने दुनिया को दिखा दिया कि गोबर से भी पैसा कमाया जा सकता है। गोबर की बिक्री और वर्मी कम्पोस्ट से लोगों की आय बढ़ी और छत्तीसगढ़ जैविक खेती की ओर बढ़ा। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के संस्कृति और पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के महापुरूषों के योगदान से नई पीढ़ी को अवगत कराने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में कुष्ठ सेवा कर्मियों को कुष्ठ उन्मूलन सेवा सम्मान और सफाई कर्मियों को स्वच्छता योद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृति मंत्री  अमरजीत भगत ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी के आंदोलन के प्रणेता ही नहीं हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं। उन्होंने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया। आजादी के आंदोलन में सभी को साथ लेकर आगे बढ़े। उन्होेंने किसानों की दिक्कतों को समझा और छूआ-छूत की विसंगतियों को दूर करने का प्रयास किया। वे स्वच्छता के प्रेरणा स्त्रोत थे।  भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने किसानों के दर्द को महसूस कर कर्जमाफी की, 2500 रूपए क्विंटल पर धान की खरीदी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना जैसी योजनाएं लागू की। आज देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के किसान खुशहाल हैं।

संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी. ने कहा कि कंडेल नहर सत्याग्रह से छत्तीसगढ़ में स्वाधीनता आंदोलन को नई ऊर्जा मिली। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर कंडेल नहर सत्याग्रह पर एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। आभार प्रदर्शन संस्कृति विभाग के संचालक  विवेक आचार्य ने किया। मुख्यमंत्री निवास पर छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन, मुख्यमंत्री के सलाहकार द्वय विनोद वर्मा और  रूचिर गर्ग उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल पर संस्कृति मंत्री  अमरजीत भगत सहित अनेक जनप्रतिनिधि और प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल पर पद्मश्री सम्मान प्राप्त भारती बन्धु ने महात्मा गांधी के प्रिय भजनों की प्रस्तुति दी।

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