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2 साल से चुनौतियां झेल रहे स्टार्टअप सेक्टर को उबारने वाला हो बजट, सरकार के सामने रखीं ये मांगें…

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य-शिक्षा से लेकर स्टार्टअप तक लगभग सभी क्षेत्रों पर असर पड़ा है। पिछले दो साल में देश के स्टार्टअप्स ने बडी चुनौतियों का सामना किया है। ज्यादातर का फंड खत्म हो गया, कई एंटरप्रेन्योर्स को कई टैक्स की मार से जूझना पड़ा और कुछ को अपना ऑपरेशन बंद करना पड़ गया। अब सभी की नजर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर टिकी हैं, उन्हें उम्मीद है कि कोरोना की मार से उबारने के लिए बजट में बड़े एलान हो सकते हैं।

सपोर्ट मैकेनिज्म पेश करेगी सरकार
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज (एक फरवरी) बजट पेश करेंगी। ये देश की पूर्णकालिक वित्त मंत्री के रूप में उनका चौथा बजट होगा, जबकि 2014 में सत्ता पर काबिज हुई मोदी सरकार का ये 10वां बजट होगा। सभी क्षेत्रों की तरह देश के स्टार्टअप सेक्टर को भी इस बार के बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। इनमें सबसे ऊपर है निवेश, विशेषज्ञों का कहना है कि स्टार्टअप्स में निवेश अहम है, क्योंकि वे जॉब क्रिएशन के इंजन हैं। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार घरेलू स्तर पर कैपिटल पार्टिसिपेशन के लिए नीतियां लाएगी और जरूरी सपोर्ट मैकेनिज्म पेश करेगी।

एफडीआई में टैक्स छूट की जरूरत
स्टार्टअप इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर के साथ फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) में टैक्स छूट की जरूरत है, जिससे भारतीय स्टार्टअप्स के ग्लोबलाइजेशन के लिए दरवाजे खुलेंगे। एफडीआई नियमों में स्पष्टता और आसानी की उम्मीदें भी स्टार्टअप्स से जुड़ी हैं ताकि उन्हें वैश्विक खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके। इसके अलावा यह देखते हुए कि कोविड का खतरा अभी भी उन पर मंडरा रहा है, स्टार्टअप विनिर्माण के लिए कुछ प्रोत्साहन की उम्मीद कर रहे हैं। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि बजट 2022 में सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए, जिससे स्टार्टअप्स की ग्रोथ की रफ्तार आगे भी बरकरार रहे।

डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देना जरूरी
स्टार्टअप क्षेत्र की ओर से उठाई गई मांगों में कहा गया है कि उम्मीद है कि डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहल के विकास से भारत को डीप-टेक हब के रूप में स्थापित किया जा सकेगा। जैसे-जैसे डिजिटल अपनाने और परिवर्तन में तेजी आएगी, तो बजट 2022 में एक मजबूत आईटी और इंटरनेट बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी ध्यान देने की जरूरत होगी। इस सबके चलते निश्चित तौर पर स्टार्टअप को भी फायदा मिलेगा।

स्टार्टअप से जुड़े कई मुद्दे हल होने की उम्मीद
फॉरेनएडमिट्स के सीईओ और को-फाउंडर अश्विनी जैन ने कहा कि मेक इन इंडिया का एक बड़ा प्रभाव पैदा करने के विचार के साथ, स्टार्ट-अप की भूमिका को भी समझना महत्वपूर्ण है। अर्थव्यवस्था और स्थानीयकरण में योगदान देने के लिए स्टार्ट-अप और उनके नए विचारों को उचित धन और बजट की भी आवश्यकता है। देश में बेहतर स्टार्ट-अप स्थितियों के साथ अर्थव्यवस्था से जुड़े कई मुद्दों को हल किया जाएगा। हम न केवल स्थानीयकरण को सर्वोत्तम रूप से बढ़ावा देने में सक्षम होंगे, बल्कि हम अपने नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुसार रोजगार, अधिक करियर के अवसर और उत्पादन को अनुकूलित करने में भी सक्षम होंगे।

स्टार्टअप पर नए सिरे से देना होगा ध्यान
क्रेडबल के सह-संस्थापक और सीईओ, नीरव चोकसी ने कहा कि 2021 भारत में टेक स्टार्टअप आईपीओ और यूनिकॉर्न की रिकॉर्ड संख्या का वर्ष था। हम आशावादी हैं कि बजट 2022 में स्टार्टअप्स पर नए सिरे से ध्यान दिया जाएगा, यह देखते हुए कि भारत अब यूके की जगह यूनिकॉर्न की दौड़ में तीसरे स्थान पर है। पिछले बजट में 31 मार्च, 2022 तक निवेश के लिए पूंजीगत लाभ की छूट की अनुमति के साथ – इस वर्ष हम प्रोत्साहन और नीतिगत उपायों की उम्मीद कर रहे हैं जो इस क्षेत्र पर कर के बोझ को कम करेंगे, ऋण तक पहुंच बढ़ाएंगे और एक निवेशक-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे। इसके अतिरिक्त, एफडीआई में कर छूट एक स्वागत योग्य कदम होगा, जो इन स्टार्टअप्स के वैश्वीकरण में और सहायता करेगा। एनबीएफसी के दृष्टिकोण से, इस क्षेत्र में स्थिरता लाने की सख्त जरूरत है। इस क्षेत्र में फंडिंग को सक्षम बनाने वाली नीतियों से एनबीएफसी को मदद मिलने की उम्मीद है, चाहे मौजूदा तरलता की कमी हो।

यूनिकॉर्न बनने का समय कम हुआ
एडवरब टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक सतीश शुक्लाने कहा कि 2021 यूनिकॉर्न का वर्ष रहा है और स्टार्टअप द्वारा यूनिकॉर्न बनने में लगने वाला समय भी कम हो गया है। इन यूनिकॉर्न ने रोजगार पैदा किया है और एक नया वाणिज्य और अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान दिया है। वर्तमान में गैर-सूचीबद्ध पर पूंजीगत लाभ के लिए कर की दर सूचीबद्ध शेयरों की तुलना में शेयर अलग हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्टार्टअप संस्थापकों और शुरुआती चरण के निवेशकों के लिए उच्च कर बहिर्वाह होता है। समानता लाने के लिए उन्हें सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के बराबर तर्कसंगत बनाया जा सकता है, साथ ही, नए वाणिज्य के साथ, गिग अर्थव्यवस्था बढ़ रही है ई-कॉमर्स फर्मों के माध्यम से नौकरियां सृजित की जा रही हैं। इन नए प्रकार की नौकरियों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाने से गिग वर्कर्स जैसे डिलीवरी बॉय आदि के इस कमजोर समूह को एक अच्छा सामाजिक सुरक्षा कवर मिलेगा।

भारत को स्टार्टअप हब बनाने का प्रयास
इंडियासेट्ज के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, शिवम सिन्हा का कहला है कि 80 से अधिक यूनियनों के साथ, भारतीय स्टार्टअप और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र भारत को अगला सबसे बड़ा स्टार्टअप हब के रूप में रीब्रांड कर रहा है। आज भारत को एक ऐसे देश के रूप में पहचाना जा रहा है जहां पूरी दुनिया में लोगों के लिए उद्यमशीलता और रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी नीतियां, जो स्टार्टअप्स को तेजी से बढ़ने में मदद करती हैं और आम आदमी को स्टार्टअप और बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश करने के लिए सशक्त बनाती हैं, उन्हें अपरिहार्य रूप से अगले वित्तीय वर्ष के लिए दिमाग में रखा जाना चाहिए। वाधवानी फाउंडेशन-इंडिया/एसईए के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर संजय शाह ने कहा कि शानदार प्रदर्शन के बावजूद, भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में दो चुनौतियां प्रमुख हैं, इनमें पहली भारत में कई यूनिकॉर्न के पास एक सम्मोहक राजस्व आधार नहीं है और उन्हें जीवित रहने के लिए नकदी प्रवाह की आवश्यकता है और दूसरी प्रौद्योगिकी और प्लेटफार्मों के साथ अपने डिजिटल परिवर्तन को तेज करने की आवश्यकता है।

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