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राम हमारे दिल में बसे हैं, हमारी सुबह राम से होती है, तो शाम भी राम के नाम से- सीएम बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि भगवान श्री राम ने अपने वनवास के 10 साल छत्तीसगढ़ में गुजारे। भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान कितनी कठिनाई झेली पर अपनी मर्यादा नहीं खोई। भगवान राम जब वन गए तो मर्यादा पुरूषोत्तम बन गए। उनके इस चरित्र निर्माण में छत्तीसगढ़ का भी अंश है।

मुख्यमंत्री आज कला और साहित्य की नगरी रायगढ़ के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित भव्य समारोह में तीन दिवसीय ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ का शुभारंभ कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ माता कौशल्या और शबरी माता का प्रदेश है। यहां सदियों से निवास कर रहे आदिवासियों, वनवासियों का प्रदेश है। भगवान राम का राजतिलक होना था लेकिन वे वनवास गए, निषादराज से मिले, शबरी से मिले, ऋषि मुनियों से मिले। हमारा रिश्ता वनवासी राम के साथ ही कौशल्या के राम से भी है, इसलिए वे हमारे भांजे है, हम छत्तीसगढ़वासी भांजे का पैर छूते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में शासकीय रूप से राष्ट्रीय स्तर पर रामायण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। श्री राम जी के आदर्श चरित्र के श्रवण के लिए यह सुंदर आयोजन किया जा रहा है यद्यपि यह राष्ट्रीय आयोजन है लेकिन इसमें कंबोडिया, इंडोनेशिया जैसे विदेशी दल भी हिस्सा ले रहे हैं, जिससे यह महोत्सव अंतर्राष्ट्रीय हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मैंने राष्ट्रीय रामायण उत्सव के दौरान सुंदर मार्च पास्ट भी देखा इसमें रामनामी सम्प्रदाय का राम मार्चपास्ट भी देखा। इन्होंने पूरा जीवन श्री राम को समर्पित कर दिया है। वे निराकार में विश्वास करते हैं, जिस तरह कबीर निराकार में विश्वास करते हैं। इस तरह सबके अपने-अपने राम हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राम कथा हमारे दिलों में बसी हुई है। हमारी सुबह राम-राम से होती है और शाम भी राम-राम से होती है। हमारे हर गांव में रामलीला की सुंदर मंडलियां बनी हुई है। आमजन श्रीराम से गहरी आत्मीयता इसलिए महसूस करते हैं क्योंकि श्री राम सबके हैं, वे निषादराज के हैं, शबरी के हैं। सबसे अनुराग रखते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सांस्कृति आदान-प्रदान के लिए उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है, जहां तीर्थ स्थल हैं और इनमें 2 एकड़ जमीन चाही है ताकि हम अपने यात्रियों के लिए यहां रहने की अच्छी व्यवस्था बना सकें। साथ ही हम अपने तीर्थ स्थलों को भी विकसित कर रहे हैं ताकि हमारे यहां जो तीर्थयात्री आएं उन्हें भी अच्छी सुविधा मिल पाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का अधिकांश समय वनवासियों के साथ बिताया। उनके साथ गहरी आत्मीयता का वृतांत हमें रामायण में मिलता है।

मुख्यमंत्री ने रायगढ़ के निवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि रायगढ़ मानव संस्कृति के सबसे आरंभिक गवाहों में से रहा है, यहां के शैल चित्र बताते हैं कि मानव जाति के सबसे आरंभिक सांस्कृतिक विकास के उदाहरण यहां भी मिलते हैं। इस संस्कारधानी नगरी ने कला के क्षेत्र में लोगों को संस्कारित करने के लिए बड़ा कार्य किया है। केलो के संरक्षण के लिए हम काम कर रहे हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि सीता राम चरित अति पावन, मधुर सरस अरु अति मनभावन। श्रीराम का आदर्श चरित्र हम सबको यहां सुनने को मिल रहा है निश्चय ही हम सब के लिए गौरव की बात है।

सामूहिक हनुमान चालीसा का हुआ आयोजन

इस मौके पर सामूहिक हनुमान चालीसा का आयोजन हुआ। भक्ति गीतों के गायक श्री दिलीप षडंगी ने यह प्रस्तुति दी। उनके साथ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और हजारों दर्शक हनुमान जी की आराधना में लीन रहे। कार्यक्रम के आरंभ में विभिन्न राज्यों से और देशों से आए हुए दलों ने मार्च पास्ट किया। इंडोनेशिया और कंबोडिया से आए दलों ने अपने पारंपरिक परिधानों में लोगों का मन मोह लिया। रामनामी संप्रदाय के सदस्यों ने भी मार्च पास्ट किया। उत्तराखंड के दल की विशेषता यह रही कि इसमें अगुवाई रावण ने की। गोवा, कर्नाटक, उड़ीसा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में 12 राज्यों के 270 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। इसमें छत्तीसगढ़ प्रदेश से 70 कलाकार और विदेशों से 27 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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