आध्यात्मखरसियाछत्तीसगढ़

लोकपर्व छेरछेरा पुन्नी उत्साह के साथ मनाया गया…

खरसिया। महादान और फसल उत्सव के रूप में त्यौहार मनाया जाने वाला छेरछेरा तिहार छत्तीसगढ़ के सामाजिक समरसता ,समृद्ध, दानशीलता की गौरवशाली परंपरा का संवाहक है छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेर हेरा बोलते हुए गांव के बच्चे ,युवा, किसान के घर जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इकट्ठा करते हैं किसानों की परंपरा रही है कि खेतों में उत्पादित फसलों को समाज के जरूरतमंद लोगों कामगारों और पशु पक्षियों के लिए देते हैं। धान का कटोरा छत्तीसगढ़ में अन्न के दान का सबसे बड़ा पर्व लोक पर्व छेरछेरा पुन्नी आज 6 जनवरी शुक्रवार को उत्साह के साथ मनाया गया।

आज के दिन को पौष पुन्नी के नाम से भी जाना जाता है छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी का अलग ही महत्व है वर्षों से मनाया जाने वाला यह पारंपारिक लोक पर्व नए साल के शुरुआत में मनाया जाता है।

सामाजिक समरसता का पर्व छेरछेरा का आध्यात्मिक महत्व भी है यह बड़े छोटे के भेदभाव और अहंकार की भावना को समाप्त करता है फसल के घर आने की खुशी में पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा तिहार के रूप में मनाया गया है. इस दिन लोग बड़े उत्साह के साथ अन्न, तिलहन दलहन का भी दान देने की परंपरा को बेहद शुभ मानते हैं छेरछेरा पुन्नी के अवसर पर घरों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन सहित अन्य पकवान बनाकर ग्रहण करने की परंपरा भी उत्साह के साथ निभाए। खरसिया के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में भी पुन्नी तिहार उत्साह के साथ मनाया गया।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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