छत्तीसगढ़

पर्यावरण सरंक्षण के लिए कार्बन उत्सर्जन कम करना जरूरी- मंत्री अकबर

रायपुर। वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना जरूरी है। उन्होंने कहा है कि ऊर्जा की आवश्यकता के लिए संसाधनों का उपयोग करते हुए ऊर्जा के नवीकरणीय विकल्पों के लिए एक व्यापक एवं संतुलित कार्ययोजना जरूरी है। मोहम्मद अकबर के मुख्य आतिथ्य में गुरुवार को राज्य योजना आयोग द्वारा नवा रायपुर के योजना भवन में कार्यशाला आयोजित हुई।

कार्यशाला का विषय था ‘छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कोयले के बजाय नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने पर पड़ने वाले प्रभाव‘। इस कार्यशाला की अध्यक्षता खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने की। खाद्य मंत्री ने कहा कि हमें भविष्य के लिए ऊर्जा की जरूरत एवं ऊर्जा के विकल्पों के लिए दीर्घकालीन योजना बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोरबा जिले में लगभग 88 हजार लोगों की आजीविका कोयला उत्खनन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक रूप से निर्भर है। इसलिए इस पर विचार करने से पहले समस्त पहलुओं पर भी विचार करने की आवश्यकता है। कार्यशाला में प्रतिभागीयों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। प्रारंभ में राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉ. के सुब्रमण्यम ने कार्यशाला की पृष्ठभूमि एवं उद्ेश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि कोरबा देश और प्रदेश का सबसे प्रमुख कोयला उत्पादक जिला है। उन्होंने कहा कि कोरबा प्रदेश की दो करोड़ 50 लाख आबादी को ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वांह कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के अन्य विकल्पों पर विचार करने हेतु पर्याप्त अधोसंरचना और व्यवस्था विकसित होने तक सतत् विकास के लिए कोयला पर निर्भरता अपरिहार्य है।

राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि सरकार ने भी ग्लासगो सम्मेलन कोप-26 में 2070 तक जीरो इमीशन प्राप्त करने का संकल्प लिया है। इसमें देश की कुल ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आपूर्ति और कार्बन उत्सर्जन 2030 तक एक बिलियन टन तक घटाने का निर्णय भी लिया गया है। राज्य के विभागों को इसके लिए चरणबद्ध तरीके के नियोजन की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि भविष्य में पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के स्रोतों का विकास के साथ-साथ स्थानीय लोगों के सामाजिक आर्थिक जीवन में पड़ने वाले प्रभावों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। कोरबा के वन संसाधन, वनोपज, वन प्रसंस्करण उद्योग आजीविका विकास में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए ऊर्जा विभाग के सचिव अंकित आनंद ने सौर ऊर्जा के विकल्प सहित अन्य ऊर्जा स्त्रातों पर अपने विचार रखे। उन्होंने राज्य में वैकल्पिक ऊर्जा के सभी विकल्पों पर किए जा रहे कार्य एवं अन्य पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में परिचर्चा के दौरान साउथ इस्टन कोल्ड फिल्ड लिमिटेड के अधिकारियों सहित अन्य विभागों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।

कार्यशाला में आई फारेस्ट की ओर से चन्द्रभूषण और श्रेष्ठा बैनर्जी ने प्रस्तुतिकरण के जरिए विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कोरबा कोयला खदान संस्थानों की गई स्टडी की जानकारी दी। उन्होेंने बताया कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। कोरबा जिले में कोयला खदानों से कोयला उत्पादन कम हो रहा है। इसका सीधा प्रभाव राज्य की बिजली आपूर्ति राजस्व, आजीविका पर पड़ने की संभावना है। उन्होंने कोरबा में ऊर्जा के न्यायसंगत रूपांतरण के संबंध में सभी पक्षों जैसे लोगों के आजीविका के विकल्पों, खदान भूमि के पुर्नउपयोग, ऊर्जा के अन्य विकल्पों इत्यादि के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने कोरबा में वन संसाधन, कृषि में आजीविका विकास की संभावनाओं की भी चर्चा की। उन्होंने जर्मनी के उदाहरण से कोरबा के लिए भी चरणबद्ध और समयबद्ध योजना बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यशाला में राज्य योजना आयोग के सदस्य सचिव ने आई-फारेस्ट के प्रतिनिधियों और बैठक में उपस्थित विभागों के प्रतिनिधियों को आभार व्यक्त करते हुए कोरबा जिले के पुर्ननियोजन और इससे जुड़े सभी पहलुओं पर आज की संवेदीकरण कार्यशाला में दिए गए सुझावों पर आगे कार्य किया जाएगा। कार्यशाला में प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला, आयुक्त उच्च शिक्षा श्रीमती शारदा वर्मा, संचालक पशुधन विकास श्रीमती चंदन त्रिपाठी सहित उद्यानिकी, उद्योग एवं खनिज विभाग और अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

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