छत्तीसगढ़

देश,समाज के विकास में उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान उमेश  पटेल

दीक्षांत का मतलब विद्यार्थी ज्ञान से अपने जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करें : सुश्री उइके

छत्तीसगढ़ के नवनिर्माण में विद्यार्थीगण अपनी भागीदारी निभाएं: बघेल

छत्तीसगढ़ ने साहित्य, रंगमंच और लोककला के क्षेत्र में देश को दी अनेक विभूतियां:वाजपेयी

देश एवं समाज के विकास में उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान: उमेश पटेल

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का 25वां दीक्षांत समारोह

रायपुर, 26 फरवरी 2020राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि सही अर्थ में दीक्षांत वह है जब विद्यार्थी अब तक प्राप्त ज्ञान के आधार पर अपने जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करें और अपने अर्जित ज्ञान को मूर्त रूप देते हुए जीवन के संघर्षमय मार्ग में अग्रसर हो सके। जिन विद्यार्थियों ने उपाधि प्राप्त कर प्रतिज्ञा ली है वे संस्कारों को अपनाते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। यह बात राज्यपाल सुश्री उइके ने आज पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत-समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने सभी उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों ने शोधार्थियों को उपाधि और प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया।

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश की उच्च-शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों का यह महत्वपूर्ण दायित्व है कि वे वर्तमान युवा पीढ़ी एवं भावी पीढ़ी के लिए उच्च स्तरीय शैक्षणिक माहौल तैयार करें ताकि उनके और मानव-जाति के विकास की राह प्रशस्त हो सके। साथ ही ऐसी शैक्षणिक प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो इन युवाओं को अपने देश की संस्कृति, अनुशासन, संयम और अध्यात्म से प्रत्यक्ष जोड़ सके। उन्होंने कहा कि युवा-वर्ग से मेरी अपेक्षा है कि वह न सिर्फ आत्मनिर्भर बनते हुए पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों को सहर्ष पालन करें बल्कि अपने नैतिक मूल्यों को भी अच्छी तरह समझें। ये मूल्य ही आगे राष्ट्र-मूल्य बनकर हमें देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन कराना सिखाते हैं। सुश्री उइके ने कहा कि देश और समाज के सम्पूर्ण विकास के लिए वैज्ञानिक उन्नति तो आवश्यक है ही परंतु हमें अपनी जमीन को नहीं छोड़ना है, जहाँ से हम आगे बढ़े हैं। हमें इन मूल्यों का सदैव ध्यान में रखना चाहिए।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले शोधार्थी-विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि जो विद्यार्थी शोध करने के इच्छुक हैं, वे ऐसे विषयों का चयन करें, जिनका वर्तमान परिवेश में अधिक आवश्यकता है। विश्वविद्यालय से उपाधि पाने वाले युवा अपने रोजगार तथा कैरियर के साथ सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वाह में भी अपनी भूमिका निभाएं।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर राज्य सरकार महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को लेकर आगे बढ़ रही है। ‘छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी-नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इस योजना की चर्चा पूरे देश में है। अमेरिका प्रवास के दौरान लोगों ने बड़ी उत्सुकता से इस योजना की जानकारी ली। लोग इस योजना को जलवायु परिवर्तन के समाधान के रूप में देख रहे हैं। उच्च शिक्षा के साथ प्रत्येक विद्यार्थी के लिए अपने ग्राम के विकास, पशुधन संरक्षण और कृषक जीवन के विषय को अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि उच्च शिक्षा जीवन के सभी पहलुओं से जुड़ सके। इस अवधारणा से ही विश्व में हो रहे जलवायु परिवर्तन का सामना किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्र-छात्राएं गांव में जाकर समय व्यतीत करें। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि छत्तीसगढ़ के नवनिर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अन्य योजनाएं प्रारंभ की, जिसके परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ आर्थिक मंदी से अछूता रहा।

मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने कहा कि सपने वही बड़े होते हैं, जो दूसरों के लिए देखे जाते हैं और प्रार्थना भी वही बड़ी होती है जो दूसरों के लिए की जाती है। उन्होंने कहा कि दुनिया को बदलने की क्षमता युवाओं में है, अतः युवाओं को सपने अवश्य देखना चाहिए। वाजपेयी ने वरिष्ठ साहित्यकार गजानंद माधव मुक्तिबोध को याद करते हुए कहा कि सफलता की शुरूआत ही विफलता से होती है, इसलिए विफलता में भी सार्थकता है। उन्होंने कहा -मेरे हिसाब से आज पहला संकट ज्ञान को लेकर है। अज्ञान का लगातार लगभग, हर दिन, कई बार शिखर से, प्रतिपादन और महिमामंडन हो रहा है। सारी शिक्षा को उपकराणात्मक बनाने का उद्यम चल रहा है। ज्ञान पाने का अपना सुख है, जिसे हम भूल चुके हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की साहित्य, संस्कृति, परम्परा की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रदेश ने साहित्य, रंगमंच और लोककला के क्षेत्र में अनेक विभूतियां देश को दी हैं। इस प्रदेश में लोक गायिका पद्मश्री तीजन बाई जैसे कलाकार हैं, जिन्होंने महाभारत के प्रसंगों को पंडवानी के माध्यम विदेशों में भी जाकर जीवंत प्रस्तुती दी है। इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए यहां की संस्कृति और कला को निरंतर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि देश एवं समाज के विकास में उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के माध्यम से सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक परिवर्तन संभव है। आज के बदलते परिवेश में वैश्विक अर्थव्यवस्था का ज्ञान प्रदान करने वाली इकाई के रूप में शिक्षा किसी देश के विकास की मुख्यधारा से जुड़ी हुई एक महत्वपूर्ण कड़ी है। छत्तीसगढ़ में विकास का नया दौर शुरू होने जा रहा है। औद्यौगिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र में नई संभावनाएं तलाशी जा रही है। परिणामतः राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए मानव संसाधन की आवश्यकता है। इसे देखते हुए राज्य शासन द्वारा उच्च शिक्षण संस्थाओं को सर्वसुविधा संपन्न बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

इस अवसर पर महापौर एजाज ढेबर, कुलपति केशरीलाल वर्मा सहित विद्यार्थी और उनके परिजन तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

Show More

Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!