आत्म मंथन एवं सोच में बदलाव- पहला पड़ाव
आत्म मंथन एवं सोच में बदलाव- पहला पड़ाव
इस जहान में असम्भव कुछ भी नहीं जरुरत है तो बस अपनी सोच को बदलने की एवं सही समय के लिए धैर्य स्थापित करने की। सोच को बदलना सबसे बड़ा असम्भव कार्य है यदि आपने यह कर दिखाया तो आपमें बदलाव आसान हो जायेगे।
सबसे पहला कार्य है आत्ममंथन और मूल्यांकन
अनेक बार हम अपने वर्तमान को छोड़कर भविष्य के ऐसे सपनों में खो जाते है जो हमारे भटकाव का मुख्य कारण बन जाते है ।
आप जहाँ भी खड़े है उस पर संतोष करे और अपना लक्ष्य तय कर उस और आगे बड़े वर्तमान परिस्थियो से संतोष से फायद यह होगा की आपके मन का विचलन कम हो जायेगा और स्थायित्व आने से आपकी तनकी मनकी काम करने की सही दिशा में सोचने मंथन करने की क्षमता में विकास होगा ।
दूसरी कोशिश होना चाहिए सही एवं गलत क्या है
हम अनेक बार हर परिस्थितयो के लिए दुसरे को जिम्मेदार ठहराते है बिल्कुल आपको ऐसा करने का हक़ है किन्तु पहले आप अपने आपको सामने वाले के स्थान पर खड़ा कर ले खड़ा करने का तात्पर्य यह नही की बस विवेक से सोच ले अपने आस-पास उस जैसा वातावरण निर्मित कर ले जैसे हम सरकार और जनप्रतिनिधियों पर दोषारोपण लगाते है किन्तु सोचे आप जनप्रतिनिधी, मंत्री, मुख्यमंत्री हैं अब आपको प्रदेश के हर व्यक्ति की जरुरत के लिए काम करना है अब क्या करेगे और आपका हालत कैसा हो गया है जरा सोचे आपके जनप्रतिनिधी,विधायक,मंत्री कैसे है प्रदेश में धर्म कितने है कानून कितने है आपके सच्चे साथी कौन-कौन से है आपका मंत्रिमंडल सचिवालय प्रदेश देश आर्थिक संसाधन बजट ताकत जरुरत सबके बारे में सोचने एवं फैसले लेने पर काम के परिणाम निर्भर करेगे और फैसले लेने से भी काम नहीं चलेगा आपके सभी साथी उन विचारो योजनाओ में आपका साथ दे तभी आप सफल हो सकते हैं नही तो आप यही कहेगे न अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
तात्पर्य यह है की आपको जनप्रतिनिधी,विधायक, मंत्री मुख्यमंत्री के योग्य बनने के लिए कितनी क्षमता एवं संसाधन विकसित करना होगे स्थिति हमारे शरीर की है यदि हम स्वस्थ और तंदुरुस्त रहना चाहते हे तो हमारे जीवन में बदलाव एक दिन में संभव नही हमे अनेक बाते परिवर्तन सिखने होगे और उसका ज्ञान होना जरुरी है।
डिसक्लेमर :- उपरोक्त विचार लेखक के आपना ब्लाॅग से अशोक कुमार खडेलवाल से कुछ अंश लें आगे बढ़े…