खरसिया

हल्बी के शब्दों से दंतेवाड़ा में शिक्षा की क्रांति का हुआ था आगाज

अ का अरर, आ का आक, इ का इत्ता, ई का ईरु जैसे गोंडी- हल्बी के शब्दों से दंतेवाड़ा में शिक्षा की क्रांति का हुआ था आगाज

कमल पटेल @ बायंग -ओपी चौधरी जी ने कई दशकों से शिक्षा और बाहरी दुनिया से दूर आदिवासी भाइयों और बहनों को शिक्षित करने के लिए हर वो सम्भव प्रयास किया जो कर सकते थे ।उनके पाठ्यक्रम में अ का अरर..अरर मतलब रास्ता ,आ का आक..आक मतलब पत्ता , इ का इत्ता ..इत्ता मतलब इमली, ई का ईरु ..ईरु मतलब महुआ जैसे गोंडी हल्बी बोली में सबसे पहले उनके पाठ्यक्रम को बदला गया ताकि जो लोग शिक्षा से पूरी तरह दूर थे वो पहले अपने लोकल बोली में पढ़ाई करें वो भी बिना किसी परेशानी के।अगर उन्हें सीधे हिंदी या अंग्रेजी की शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता तो वो कभी शिक्षा की ओर आगे नहीं आते। धीरे धीरे उनकी हिंदी और अंग्रेजी की भी अच्छी समझ होती गई। इस प्रकार एक ऐसा क्षेत्र जहाँ स्कूलों के नाम सिर्फ कागजों तक सीमित रहते थे असल में अधिकांश स्कूलों में ताले लगे रहते थे, कई स्कूलों को तबाह कर दिया गया था उस जगह में शिक्षा की क्रांति किसी ने छेड़ी तो वो एकमात्र ओपी चौधरी जी ही थे । जिन्होंने दिनरात मेहनत कर 500 सीटर 44 आवासीय स्कूल जिसे (पोटा केबिन )कहा जाता है । ये आवासीय स्कूल ऐसी जगहों में खोले गए जहाँ नक्सलवाद चरम पर होता है।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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